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NCLAT ने एक शर्त के साथ दी राहत, Byju’s की कमान फिर रवींद्रन के पास

एडटेक कंपनी बैजूस के संस्थापक बैजू रवींद्रन को बड़ी राहत के साथ एक बार फिर से कंपनी की कमान मिल गई है. राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) ने बैजूस की मूल कंपनी थिंक ऐंड लर्न के खिलाफ चल रही ऋणशोधन अक्षमता की कार्यवाही प्रक्रिया पर शुक्रवार को रोक लगा दी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के साथ बैजू रवींद्रन के समझौते को भी मंजूर कर लिया. इसके साथ ही बैजू रवींद्रन सहित कंपनी के प्रवर्तकों को फिर से फर्म का नियंत्रण मिल गया.

मगर इसमें शर्त है कि बैजू रवींद्रन और ऋजु रवींद्रन अपने वादों का उल्लंघन नहीं करेंगे. वादे के मुताबिक निश्चित तिथि पर रकम का भुगतान नहीं करने पर बैजूस के खिलाफ ऋणशोधन अक्षमता प्रक्रिया पुनः शुरू हो जाएगी.

न्यायिक सदस्य राकेश कुमार जैन और तकनीकी सदस्य जतिंद्रनाथ स्वैन के दो सदस्यीय पीठ ने फैसले में कहा है, ‘हलफनामे में दिए गए वचन के मुताबिक समझौते को मंजूरी दी जाती है. अपील सफल होती है और विवादित आदेश को रद्द किया जाता है. मगर भुगतान करने में कोई भी विफलता बैजूस के खिलाफ ऋणशोधन अक्षमता की कार्यवाही को दोबारा शुरू कर देगी.’

अपील अधिकरण ने कहा कि ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के गठन होने से पहले समझौता किया जा रहा है और यह देखते हुए कि धन का स्रोत (ऋण चुकाने वाले) विवादित नहीं है इसलिए कंपनी के खिलाफ ऋणशोधन अक्षमता की कार्यवाही की प्रक्रिया जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है. एनसीएलएटी ने कहा कि कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक और प्रवर्तक रहे ऋजु रवींद्रन ने जो धन दिया है उससे अमेरिकी ऋणदाताओं से कोई वास्ता नहीं है, जो अदालत को आदेश देने की शक्ति देता है. अदालत ने यह भी कहा कि बीसीसीआई की ओर से पेश हुए तुषार मेहता ने भी कहा कि वे हेरफेर की गई रकम को स्वीकार नहीं करेंगे और ये रकम भारत का ही है.

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