केंद्र सरकार ने पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत ‘मॉडल सौर गांव’ के क्रियान्वयन के लिए दिशानिर्देश जारी किए. साथ ही 800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. योजना में चुने गए प्रत्येक मॉडल सौर गांव को एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे.
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने कहा कि योजना के घटक के रूप में पूरे भारत में हर जिले में मॉडल सौर गांव बनाने पर जोर दिया गया है. इसका मकसद सौर ऊर्जा की स्वीकार्यता को बढ़ावा देना और गांवों को ऊर्जा जरूरतों में आत्मनिर्भर बनाना है. मंत्रालय ने मॉडल सौर गांव के क्रियान्वयन के लिए योजना दिशानिर्देश गत नौ अगस्त को अधिसूचित किये.
प्रतिस्पर्धा से गावों का चयन योजना के लिए गांवों का चयन एक प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के जरिये होगा. इसमें जिला-स्तरीय समिति गांव का चयन करेगी. उसके छह महीने बाद स्थापित समग्र वितरित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के आधार पर गांवों का मूल्यांकन किया जाएगा. दिशानिर्देशों के अनुसार प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के तहत विचार करने के लिए एक गांव का राजस्व गांव होना चाहिए. इसकी आबादी 5,000 (या विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 2,000) से अधिक होगी. योजना का कार्यान्वयन राज्य नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी जिला स्तरीय समिति की निगरानी में करेगी. इससे सुनिश्चित होगा कि चयनित गांव प्रभावी ढंग से सौर ऊर्जा समुदायों में परिवर्तित हो जाएं.
75 हजार करोड़ से अधिक की परियोजना
सरकार ने 29 फरवरी, 2024 को पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना को मंजूरी दी थी. इसका उद्देश्य छतों पर लगने वाले सौर संयंत्रों की क्षमता की हिस्सेदारी बढ़ाना व आवासीय घरों को बिजली उत्पादन के लिए सशक्त बनाना है. इस योजना का परिव्यय 75,021 करोड़ रुपये है और इसे 2026-27 तक लागू किया जाना है.