बूढ़ी मां के रूप में आकर मां लक्ष्मी ने दी थी लड्डू बनाने की विधि, जिससे बना तिरुपति बालाजी का प्रसाद
आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के लड्डू में मिलावट का मामला गर्माया हुआ है, जिससे मंदिर की शुद्धता पर सवाल उठने लगे हैं. इसके चलते तिरुपति बालाजी के लड्डुओं की पौराणिक और धार्मिक महत्ता भी चर्चा में आ गई है. मंदिर में दर्शन के लिए हर दिन हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन मिलावट की खबर ने प्रसाद को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं. तिरुपति बालाजी के लड्डू प्रसादम की कहानी काफी प्राचीन है, जिसकी जानकारी इस प्रकार है.
लड्डू प्रसादम की पौराणिक कथा
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम की उत्पत्ति से जुड़ी एक प्राचीन कथा है. ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति की स्थापना की जा रही थी, तब पुजारियों को समझ नहीं आ रहा था कि भगवान को क्या भोग अर्पित किया जाए. उसी समय एक वृद्ध महिला लड्डुओं की थाली लेकर वहां आईं और कहा कि यह लड्डू भोग के रूप में अर्पित किया जाए. भगवान की पूजा के बाद जब लड्डुओं का प्रसाद बांटा गया, तो हर कोई उनके स्वाद से चकित रह गया. कहा जाता है कि वह वृद्ध महिला दरअसल मां लक्ष्मी थीं, जो पुजारियों को लड्डू बनाने की विधि बताने आई थीं. कुछ समय बाद वह अंतर्ध्यान हो गईं. तभी से यह लड्डू तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसाद बन गया.
भगवान वेंकटेश्वर और कुबेर की पौराणिक कथा
तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर के साथ जुड़ी एक और कथा प्रचलित है. इसके अनुसार, भगवान वेंकटेश्वर ने देवी पद्मावती से विवाह के लिए धन की आवश्यकता के चलते कुबेर से कर्ज लिया था. माना जाता है कि इस कर्ज को चुकाने के रूप में भक्तजन अब भी दान करते हैं. लड्डू प्रसादम को इस कर्ज से जोड़ा जाता है, क्योंकि इसे भगवान के आशीर्वाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है और बदले में भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार दान करते हैं.