बिलासपुर हाईकोर्ट ने शारीरिक रूप से विकलांग रेलवे कर्मचारी द्वारा दायर की गई रिट याचिका को खारिज किया है. याचिका में आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) द्वारा अनुशंसित उसके स्थानांतरण को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता पर एक महिला सहकर्मी को अनुचित संदेश भेजने का आरोप था, जिसे लेकर यह स्थानांतरण किया गया था.
याचिकाकर्ता, जो रेलवे में शारीरिक रूप से विकलांग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भी हैं, ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. उनका आरोप था कि उन्होंने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को उजागर किया, जिसके कारण भ्रष्ट रेलवे अधिकारियों ने उन्हें निशाना बनाया. याचिकाकर्ता ने अदालत में दावा किया कि एक महिला कर्मचारी ने उनके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन पर “गंदे और अश्लील संदेश” भेजने का आरोप लगाया गया था. भारतीय दंड संहिता की धारा 509(बी) के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी. जमानत अर्जी लंबित रहते हुए, शिकायतकर्ता ने एक शपथपत्र प्रस्तुत किया जिसमें कहा गया कि प्राथमिकी गलतफहमी और भ्रम के आधार पर दर्ज की गई थी.
कैट के आदेश बाद हाईकोर्ट में लगाई याचिका: याचिका में बताया गया कि आईसीसी ने याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई शुरू की और उनका पक्ष सुने बिना स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया. इसके बाद याचिकाकर्ता ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का रुख किया. अधिकरण ने सक्षम प्राधिकारी को 60 दिनों के भीतर स्थानांतरण आदेश पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया. इसके बाद कर्मचारी ने राहत की मांग करते हुए कैट के आदेश को रद्द करने, स्थानांतरण आदेश पर रोक लगाने, उनके वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन और सेवा रिकॉर्ड को सुधारने और उन्हें सम्मानजनक स्थिति में पूर्व पदस्थापना स्थल पर वापस बहाल करने की अपील की. रेलवे अधिकारियों ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखते हुए याचिकाकर्ता के आरोपों को गलत और निराधार बताया.
उन्होंने कहा कि आईसीसी ने याचिकाकर्ता के स्थानांतरण की सिफारिश यौन उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत वैधानिक प्रावधानों के अनुसार की थी. कैट के आदेश का पालन किया जा चुका था, और यदि याचिकाकर्ता को कोई शिकायत थी, तो उन्हें कैट के समक्ष आवेदन करना चाहिए. हाईकोर्ट ने पाया कि आईसीसी को यौन उत्पीड़न अधिनियम की धारा 12 के तहत कर्मचारी के स्थानांतरण की सिफारिश करने का अधिकार है. कैट ने प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता के मामले पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया था, इधर प्रतिवादी रेलवे ने 9 अक्टूबर 2023 को एक आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता के स्थानांतरण पर तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती जब तक अनुशासनात्मक या आपराधिक मामले का निपटारा नहीं हो जाता. कोर्ट ने कैट के आदेश में कोई त्रुटि नहीं पाई और याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को कैट के समक्ष आवेदन करने की स्वतंत्रता प्रदान की.