धर्म एवं साहित्यज्योतिष

सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग में कल मनाया जाएगा करवाचौथ

करवाचौथ पर सुहागिनें रविवार को 13 घंटे 10 मिनट का व्रत रखेंगी. इस बार करवाचौथ पर गज केसरी योग पड़ रहा है. पति की आयु, और समृद्धि के लिए रखा जाने वाला यह व्रत 20 अक्तूबर रविवार को मनाया जाएगा. व्रत की अवधि इस बार करीब 13 घंटे दस मिनट रहेगी. इस बार उच्च राशि का चंद्रमा होने से अक्षत सुहाग के शुभ मांगलिक योग हैं. चंद्रोदय रविवार रात 07.56 बजे होगा.

भद्रा का साया नहीं

भद्रा को लेकर कुछ जगहों पर भ्रम की स्थिति बन रही है, पर ज्योतिषविदों के अनुसार इस बार करवा चौथ पर भद्रा का साया नही है. ज्योतिष अन्वेषक अमित गुप्ता के अनुसार करवाचौथ पर भद्रा काल केवल 20 मिनट तक का रहेगा. यह भद्रा काल सुबह 6.48 बजे तक रहेगा. इसका करवाचौथ पर कोई प्रभाव नहीं है.

क्यों होते हैं चंद्र दर्शन

चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. चंद्रमा आयु, यश और समृद्धि का भी प्रतीक है. ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत के अनुसार, इस बार चद्रमा अपनी उच्च राशि में है. करवा चौथ पर शिव परिवार की पूजा करने का विधान है. लेकिन मुख्य रूप से गणपति की ही पूजा होती है. गणपति की पूजा से सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं. विघ्नहर्ता गणेश जी को चतुर्थी का अधिपति देव माना गया है.

चंद्रोदय और शुभ मुहूर्त

चतुर्थी प्रारंभ प्रात 06.46 से (20 अक्तूबर)

चतुर्थी का समापन प्रात 04.17 बजे से (21 अक्तूबर)

व्रत समय सुबह 06.46 से रात 07.56 मिनट

व्रत की अवधि 13 घंटे 10 मिनट

पूजा मुहूर्त सांय 5.50 से 7.05 (करवा चौथ व्रत कथा)

कब होता है व्रत

हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवाचौथ का पर्व होता है. इसमें भी विशेष रूप से चतुर्थी तिथि, जिस दिन रात्रि में चन्द्रमा उदय होने तक रहे, उस दिन करवा चौथ का व्रत होता है. इस दिन सुहागिन स्त्रित्त्यां प्रात काल से ही निर्जला व्रत रखकर संध्या के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर और अपने पति का दर्शन कर जल ग्रहण करके व्रत का परायण करती हैं. इस दिन स्त्रित्त्यां एकत्रित होकर कर्क चतुर्थी व्रत की कथा का पाठ और श्रवण करती हैं, व्रत के दिन स्त्रित्त्यां यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें, मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये.

विशेष संयोग

करवाचौथ व्रत पर दिनभर चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में रहेंगे और व्रत के दिन चन्द्रमा और बृहस्पति दोनों एक ही राशि (वृष) में होने से गज केसरी योग भी बनेगा जो अपने आप में एक बहुत शुभ परिणाम देने वाला योग है.

● सुबह के समय सिर्फ 20 मिनट के लिए होगी भद्रा, व्रत पर कोई प्रभाव नहीं

● इस बार सूर्य और बुध दोनों ही ग्रह शुक्र की राशि तुला में रहेंगे

● ऐसे में बुधादित्य योग बनेगा, इसके साथ समसप्तक योग भी रहेगा

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