
Hotel GST: अगर आप अक्सर होटल में जाकर खाना खाते हैं, तो 1 अप्रैल 2025 से आपकी जेब पर असर पड़ सकता है। सरकार के नए नियम के तहत, अब specified premises में आने वाले होटलों के रेस्टोरेंट्स को ग्राहकों से 18% जीएसटी लेना होगा, जो पहले सिर्फ 5% था।
क्या है Specified Premises?
सरकार के मुताबिक, कोई भी होटल जिसमे पिछले फाइनेंशियल ईयर में किसी भी कमरे का किराया 7,500 रुपये प्रति दिन से अधिक था, वह specified premises माना जाएगा। इसके अलावा, यदि होटल ने खुद को इस केटेगरी में घोषित किया है, तो भी उसे इसमें गिना जाएगा। ऐसे होटलों के रेस्टोरेंट्स को अब अनिवार्य रूप से 18% जीएसटी लेना होगा, जिसमें उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ मिलेगा।
ग्राहकों पर पड़ेगा असर?
एक्सपर्ट का कहना है कि 18% जीएसटी लगने से ग्राहकों को ज्यादा पेमेंट करना पड़ सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि हर बार खाना महंगा हो। अगर होटल को कच्चे माल और सर्विस पर पहले से ही 12% तक जीएसटी देना पड़ता है, तो अब वह ITC का फायदा उठाकर जीएसटी कम कर सकता है।
हालांकि, यदि होटल में common ITC यानी ऐसी वस्तुएं और सर्विस जो होटल और रेस्टोरेंट दोनों में इस्तेमाल होती हैं जैसे साबुन, पानी, सफाई आदि की क्वांटिटी ज्यादा है, तो होटल को फायदा होगा और वह यह टैक्स ग्राहकों पर ट्रांसफर नहीं करेगा।
5% GST की सुविधा किन्हें मिलेगी?
वे होटल रेस्टोरेंट्स जो specified premises की परिभाषा में नहीं आते, उनके पास विकल्प होगा कि वे 5% जीएसटी बिना ITC जारी रखें या 18% के साथ ITC का लाभ लें।
बिजनेस इवेंट्स होंगे महंगे
होटलों में होने वाले कॉर्पोरेट इवेंट्स, मीटिंग्स और कांफ्रेंस में अब खाना-पीना महंगा हो सकता है। सिर्फ एक कमरे का किराया 7,500 रुपये से ज्यादा होने पर पूरा होटल specified premises माना जाएगा, जिससे रेस्टोरेंट में भी 18% टैक्स लागू होगा। होटल मालिक अब सोच-समझकर यह तय कर सकते हैं कि उन्हें किस संपत्ति को specified premises में रखना है और किसे नहीं। इससे ई-कॉमर्स (जैसे Zomato, Swiggy) के जरिए सर्विस देने वाले रेस्टोरेंट्स पर टैक्स की जिम्मेदारी भी साफ हो गई है।
नया जीएसटी नियम होटल रेस्टोरेंट्स के लिए दोहरा टैक्स सिस्टम लेकर आया है—18% जीएसटी वाले specified premises और 5% वाले बाकी होटल। ग्राहक के लिए यह जरूरी होगा कि वे होटल में खाने से पहले टैक्स रेट को समझें। वहीं, होटलों को अपनी कीमतों, पैकेज और ITC रणनीति को फिर से तय करना होगा ताकि ग्राहकों पर एक्स्ट्रा बोझ न पड़े।