पाकिस्तान अब अपने बजट का निर्धारण भी स्वतंत्र रूप से नहीं कर सकता, IMF की टीम बैठेगी

पाकिस्तान को अंततः आईएमएफ से एक अरब डॉलर का ऋण मिलने की संभावना बन गई है, जो कि लंबे संघर्ष के बाद संभव हुआ है. यह देश कई वर्षों से विश्व बैंक, आईएमएफ और चीन जैसे देशों से वित्तीय सहायता पर निर्भर है. इसके अलावा, सऊदी अरब से भी उसे समय-समय पर सस्ता तेल और आर्थिक मदद मिलती रही है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप उसकी संप्रभुता में लगातार कमी आई है. पाकिस्तान अब अपने बजट का निर्धारण भी स्वतंत्र रूप से नहीं कर सकता. 2 जून को देश का बजट पेश करने की तैयारी है, जिसके लिए आईएमएफ के साथ पहले से सलाह-मशविरा किया जाएगा. इस सिलसिले में आईएमएफ की एक टीम सोमवार को इस्लामाबाद पहुंच चुकी है, और पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के अधिकारी पहले उनकी सलाह लेंगे, उसके बाद ही बजट को अंतिम रूप दिया जाएगा.
सूत्रों का कहना है कि आईएमएफ तय करेगा कि पाकिस्तान में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए कितना फंड तय किया जाए. पहले से चले आ रहे कर्ज के ब्याज चुकाने को कितनी रकम तय होगी और सुधारों पर क्या खर्च होगा. इससे पहले भी बीते कई सालों से पाकिस्तान के बजट को तैयार कराने में आईएमएफ का दखल रहा है. आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान का बजट ऐसा रहना चाहिए, जिसमें आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके. इसके अलावा एक बफर भी तैयार किया जाए. बता दें कि आईएमएफ ने पाकिस्तान को नई किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें भी रख दी हैं. इस तरह आईएमएफ की तरफ से अब तक पाकिस्तान पर कुल 50 शर्तें लाद दी गई हैं.
आईएमएफ की शर्त के अनुसार पाकिस्तान का कुल बजट 17.6 ट्रिलियन रुपये का होगा. इसके अलावा उसे 1.07 ट्रिलियन रुपये ही विकास पर खर्च करने का अधिकार होगा. इसके अलावा टैक्स ढांचे को मजबूत करने और ऐग्रिकल्चर इनकम पर भी टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा गया है. यही नहीं आईएमएफ की शर्तों के आधार पर पाकिस्तान सरकार को गर्वनेंस ऐक्शन प्लान भी प्रकाशित करना होगा. ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि पाकिस्तान की सरकार को जो सुधार करने हैं, उन पर जनता की भी नजर रहे. यही नहीं बिजली दरों में छूट पर भी लगाम कसी गई है और एक हद से ज्यादा की रियायत पाकिस्तान की सरकार अपनी जनता को नहीं दे सकती.