मूर्तियों में दिखेगी जन्म से राज्याभिषेक तक की यात्रा
अयोध्या. श्री राम जन्मभूमि में रामलला के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की ढेरों मूर्तियां तो होंगी ही, रामायण के प्रसंगों को भी मूर्तियों के जरिए दर्शाया जाएगा. इसके लिए कारसेवकपुरम स्थित रामकथा कुंज स्थित कार्यशाला में निर्माण जोर-शोर से हो रहा है. ये मूर्तियां राम जन्म से राज्याभिषेक तक की गाथा सुनाएंगी. इनके जरिए मंदिर में त्रेता युग जीवंत करने की तैयारी है.
राम मंदिर में रामायण प्रसंगों पर 164 मूर्तियां लगाई जानी हैं. इनमें पुत्र प्राप्ति के लिए दशरथ के यज्ञ, राम राज्याभिषेक से लेकर माता सीता के धरती में समाहित होने और राम की जल समाधि तक का प्रसंग है. हर प्रसंग में औसतन छह से आठ मूर्तियां शामिल होंगी. अब तक पुत्रेष्टि यज्ञ, रामजन्म, बाल लीला, वशिष्ठ के आश्रम में विद्या अध्ययन, ताड़का, सुबाहु वध, सीता जन्म से लेकर सीता हरण तक के 54 प्रसंगों को आकार दिया जा चुका है. मुख्य शिल्पकार रंजीत मंडल तैयार ने बताया कि 2013 से अशोक सिंहल के निर्देश पर मूर्तियां बनाई जा रही हैं. वे पिता नारायण मंडल के साथ सीमेंट, सरिया, कंक्रीट से इन्हें बना रहे हैं.
मूर्तिकला में पीएचडी कर रहे हैं शिल्पकार
54 वर्षीय रंजीत मंडल कहते हैं कि बचपन से ही मूर्तियां बना रहे हैं. इस समय महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट, मध्य प्रदेश से मूर्तिकला में पीएचडी कर रहे हैं. पंडित दीनदयाल शोध संस्थान के महासचिव डॉ. अवर महाजन उनका सहयोग कर रहे हैं. ग्रामोदय महाविद्यालय के मूर्तिकला विभाग के प्रो. प्रसन्न पाटेकर के मार्गदर्शन में उनकी पीएचडी का विषय अयोध्या धाम एवं चित्रकूट धाम के प्रमुख मंदिरों एवं उनकी प्रतिमा का कलात्मक अध्ययन है.
श्रद्धालुओं का आकर्षण बनी कार्यशाला
जन्मभूमि कार्यशाला भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. यहां पत्थरों की तराशी का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है. सुबह छह बजे से ठक-ठक गूंजने लगती हैं. महाराष्ट्र से आए रमेश ने कहा,पहली बार आकर लगा कि विश्व की सर्वोत्तम नगरी है. जयपुर से ज्योति सोनी ने कहा कि 16 साल बाद आई हैं. इस बार जमीन आसमान का फर्क है.