दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र से उस याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर स्वीकार करने कहा, जिसमें आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा को राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य बीमा योजना ‘आयुष्मान भारत’ में शामिल करने का अनुरोध किया गया है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत पी एस आरोड़ा की पीठ ने प्रतिवेदन पर शीघ्रता से निर्णय लेने का निर्देश देने के बाद जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया. उच्च न्यायालय ने याचिका बरकरार करने की याचिकाकर्ता की अर्जी स्वीकार कर ली और मंत्रालय से इसे प्रतिवेदन के रूप में स्वीकार करने को कहा. पीठ ने आयुष मंत्रालय द्वारा दाखिल हलफनामे पर गौर करते हुए यह आदेश जारी किया. हलफनामे में कहा गया है कि भारतीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में शामिल करने के लिए कदम उठाने के वास्ते स्वास्थ्य मंत्रालय से समन्वय किया जा रहा है.
पिछले साल उच्च न्यायालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, आयुष, वित्त और गृह मंत्रालय तथा दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था तथा उनसे याचिकाकर्ता- अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा था. नागरिकों के स्वास्थ्य के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए आयुर्वेद, योग प्राकृतिक चिकित्सा को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में शामिल करने का याचिका में अनुरोध किया गया है. आयुष्मान भारत की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी. इसके बीपीएल परिवारों को प्रति वर्ष पांच लाख का नकदी रहित स्वास्थ्य बीमा कवर मुहैया किया गया है.