जरूरत पड़ी तो जीएसटी प्रावधानों की व्याख्या करेंगे सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम के तहत बड़े पैमाने पर लोगों और कारोबारियों का उत्पीड़न किए जाने के आरोपों को गंभीरता से लिया है. साथ ही कहा कि वह जीएसटी कानून की व्याख्या कर सकता है.
शीर्ष अदालत जीएसटी अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम और धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली 281 याचिकाओं की सुनवाई कर रही है. जस्टिस संजीव खन्ना, एमएम सुंदरेश और बेला एम त्रिवेदी की विशेष पीठ ने जीएसटी अधिनियम की धारा 69 में अस्पष्टता पर चिंता व्यक्त की है. धारा 69 कानून के उल्लंघन होने की स्थिति में गिरफ्तारी की शक्तियों से संबंधित है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि जरूरत हुई तो वह लोगों की स्वतंत्रता को मजबूत करने के लिए कानून की नए सिरे से व्याख्या करेगी, लेकिन नागरिकों को परेशान नहीं होने देगी.
जस्टिस खन्ना ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि आप जीएसटी अधिनियम के तहत पिछले तीन वर्षों में एक करोड़ से पांच करोड़ रुपये की कथित चूक के लिए जारी किए गए नोटिस और गिरफ्तारियों का आंकड़ा पेश करें. उन्होंने कहा कि कानून का दुरुपयोग कर लोगों का उत्पीड़न हो सकता है और हम इसकी इजाजत नहीं देंगे. यदि हमें लगता है कि कानूनी प्रावधानों में कोई अस्पष्टता है तो हम उसे सही करेंगे. शीर्ष अदालत ने यह भी साफ किया कि लोगों को सभी मामलों में लोगों को जेल नहीं भेजा जा सकता.