छत्तीसगढ़ : साल के अंत तक पूरी नहीं हो सकेगी गेवरा रोड-पेण्ड्रा रेल लाइन, पुल-पुलिया भी अधूरे
कोरबा. गेवरारोड से पेण्ड्रारोड के बीच इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर के तहत बनाई जा रही 135 किलोमीटर लंबी रेल लाइन इस साल के अंत तक पूरी नहीं हो सकेगी. इसकी वजह काम की सुस्त रतार है. इस सेक्शन पर मिट्टी भरने का काम पूरा नहीं हुआ है. पसान को छोड़कर गेवरारोड तक बीच-बीच में बनने वाले बड़े पुल को बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है.
इंडस्ट्रीयल कॉरिरोड के तहत गेवरारोड से पेण्ड्रारोड के बीच लगभग 135 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण किया जा रहा है. दोहरी रेल लाइन पर लगभग 5000 करोड़ रुपए खर्च होना है.
यह लाइन कुसमुंडा से होकर गेवरा-दीपका के रास्ते पुटवा, मातिन होकर पसान होते हुए पेण्ड्रा तक जाएगी. इस लाइन को बनाने के लिए वर्ष 2014 में एसईसीएल और रेलवे ने छत्तीसगढ़ सरकार के साथ अनुबंध किया है. इसके बाद से इस रेल लाइन को बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई. 2024 तक इस लाइन को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन काम की रतार इतनी सुस्त है कि साल के अंत तक लाइन पूरी होगी इसकी संभावना नहीं है. अभी तक दीपका से पुटीपखना के बीच का सेक्शन पूरा बनकर तैयार नहीं हुआ है.
मोहनपुर, सिंघिया के रास्ते मातिन की तरफ जाने वाली लाइन का सेक्शन भी तैयार नहीं हुआ है. काम के नाम पर इस सेक्शन पर मिट्टी भरने का कार्य ही हुआ है. पुल-पुलिया बनाने का काम अभी शुरू नहीं हुआ है. मातिन के पास नाला पर पुल निर्माण के लिए ठेका एजेंसी ने स्ट्रक्चर को बांधने का कार्य शुरू किया है. बरसात में पुलिया का निर्माण पूरा होगा इसकी संभावना बहुत कम है. पसान के पास रेल लाइन बिछाने के लिए अभी मिट्टी भरने का काम भी शुरू नहीं हो सका है. पेड़ पौधों को काटकर साफ किया गया है. इसके आगे पेण्ड्रारोड तक का हाल भी ऐसा ही है. रेल प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन ने 2024 तक इस लाइन को बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. काम की रतार को देखकर 2026 से पहले लाइन का कार्य पूरा होगा इसकी उमीद कम है.
कार्य पूरा होने तक गेवरारोड से चांपा की ओर यात्री गाड़ियों का परिचालन मुश्किल
देश में कोयले की जरूरत को पूरा करने के लिए कोल इंडिया का प्रबंधन सहयोगी कंपनी एसईसीएल की कोरबा जिले में स्थित गेवरा, दीपका, कुसमुंडा खदान से कोयला उत्पादन लगातार बढ़ा रहा है. गेवरा से सालाना 70 मिलियन टन कोयला खनन की तैयारी है. कुसमुंडा और दीपका से भी 50 से 55 मिलियन टन कोयला निकालने की योजना है. इसके लिए एसईसीएल कुसमुंडा में कई साइलो बनकर तैयार हो गए हैं तो कुछ इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएंगे. इतने अधिक माल को बाहर ले जाने के लिए कोयला कंपनी के पास रेल लाइन उपलब्ध नहीं है. वर्तमान में उपलब्ध गेवरोरोड-कोरबा-चांपा रेलखंड से भविष्य की जरूरतों के अनुसार कोयला परिवहन संभव नहीं है. इसे देखते हुए कोयला कंपनी गेवरारोड-पेंड्रारोड रेल लाइन का निर्माण जल्द से जल्द करना चाह रही है लेकिन इसमें देरी हो रही है. लाइन का जब तक निर्माण पूरा नहीं हो जाता तब तक गेवरारोड से कोरबा होकर चांपा की ओर यात्री गाड़ियों का परिचालन बेहद मुश्किल है. इसके पीछे की मुय वजह कोयला परिवहन को प्राथमिकता देना है.