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खटाई में न पड़ जाए रिलायंस-डिज्नी का अरबों का मर्जर

नई दिल्ली.रिलायंस मीडिया और वॉल्ट डिज्नी (स्टार) मीडिया के विलय पर पेच फंस गया है. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने 71,195 करोड़ रुपए के विलय पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य बाजार में मोनोपॉली स्थापित करना है.

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने मई में वायकॉम-18 और डिज्नी (स्टार) मीडिया के विलय के लिए सीसीआई से मंजूरी मांगी थी. सीसीआई ने कुछ सवाल खड़े किए हैं. उसका मानना है कि विलय से प्रतिद्वंद्वियों को नुकसान होगा. इन दोनों कंपनियों के पास क्रिकेट के प्रसारण के लिए अरबों डॉलर के अधिकार होंगे. ऐसे में सीसीआई को इनके अधिक मूल्य वसूलने व विज्ञापनदाताओं पर मजबूत पकड़ की आशंका है. उसने कंपनियों को जवाब देने और स्थिति स्पष्ट करने के लिए 30 दिन का समय दिया है.

सीसीआईने दोनों कंपनियों से पूछा है कि विलय को लेकर जांच का आदेश क्यों नहीं दिया जाना चाहिए? अब तक दोनों कंपनियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी र्गई. सीसीआई ने इससे पहले भी निजी तौर पर रिलायंस और डिज्नी से विलय से जुड़े करीब 100 सवाल पूछे थे. कंपनियों ने सीसीआई को बताया था कि वे चिंताओं को दूर करने के लिए कुछ टेलीविजन चैनल बेचने को तैयार हैं.

ज्वॉइंट वेंचर पर होगा रिलायंस का नियंत्रण


अगरदोनों कंपनियों का विलय वजूद में आता है तो ज्वॉइंट वेंचर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज का नियंत्रण होगा. उसके पास 16.34 प्रतिशत, रिलायंस की सब्सिडयरी वायकॉम-18 के पास 46.82 प्रतिशत और डिज्नी के पास 36.84 प्रतिशत स्वामित्व होगा. नए वेंचर की कमान नीता अंबानी के पास होगी, जबकि उदय शंकर उपाध्यक्ष होंगे.

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