रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसाओं को राज्य में लागू करने के कैबिनेट के फैसले के बाद आयोग के प्रतिवेदन में पिछड़ा वर्ग की कुल आबादी के आंकड़े अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. हालांकि प्रतिवेदन के आधार पर प्रदेश में ओबीसी की कुल आबादी 43 फीसदी होने का दावा किया जा रहा है. यानी राज्य में ओबीसी की कुल आबादी करीब 1.30 करोड़ अनुमानित है, लेकिन किस जिले, किस निकाय या पंचायत में कितनी ओबीसी आबादी है, यह स्पष्ट नहीं है. इस स्थिति में किस निकाय या पंचायत में ओबीसी को कितना आरक्षण मिलेगा, इसको लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है.
भाजपा व कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी आरक्षण को लेकर एक-दूसरे से जानकारी लेंगे. नगरीय निकायों में वार्ड पार्षद, महापौर व अध्यक्ष तथा पंचायतों में पंच-सरपंच, जनपद व जिला पंचायत अध्यक्ष के कितने पद आरक्षित होंगे, यह भी तय नहीं है. बताया गया है कि प्रदेश में शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में ओबीसी की आबादी अधिक है, जहां ओबीसी को अधिक आरक्षण का लाभ मिल सकता है. बस्तर व सरगुजा संभाग सहित अन्य अनुसूचिज जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में भी ओबीसी को झटका लग सकता है. मैदानी क्षेत्रों में जहां अनुसूचित जाति की आबादी अधिक है, वहां भी ओबीसी को आरक्षण में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर त्रिस्तरीय पंचायतों व नगरीय निकायों में ओबीसी को मिल रही आरक्षण की एकमुश्त सीमा 25 प्रतिशत को शिथिल कर अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के अनुपात में 50 प्रतिशत आरक्षण की अधिकतम सीमा तक आरक्षण प्रदान किए जाने का निर्णय लिया गया है. नए मानदंड से नगरीय निकाय व त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों में ओबीसी को झटका लग सकता है. राज्य के कई नगरीय निकायों व पंचायतों में ओबीसी का आरक्षण जीरो हो जाएगा. पहले सभी नगरीय निकायों व पंचायतों में ओबीसी को एकमुश्त 25 फीसदी आरक्षण मिलता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. ऐसे निकाय जहां पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण कुल मिलाकर 50 प्रतिशत या उससे अधिक है, वहां अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण उस निकाय में शून्य हो जाएगा. यदि अनुसूचित जाति, जनजाति का आरक्षण निकाय में 50 प्रतिशत से कम है, तो उस निकाय में अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा तक अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण होगा, परंतु यह आरक्षण उस निकाय की अन्य पिछड़ा वर्ग के आबादी से अधिक नहीं होगा. निकाय के जिन पदों के आरक्षण राज्य स्तर से तय होते हैं जैसे जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर निगम महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष इत्यादि, उन पदों के लिए ऐसे निकायों की कुल जनसंख्या के आधार पर उपरोक्त सिद्धांत का पालन करते हुए आरक्षित पदों की संख्या तय की जाएगी.
ढाई महीने में रिपोर्ट तैयार
छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष आरएस विश्वकर्मा का कहना है कि लगभग ढाई महीने में ओबीसी सर्वे का प्रतिवेदन तैयार कर राज्य शासन को सौंपा गया है. उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप यह रिपोर्ट तैयार की गई, जिसके आधार पर नगरीय निकायों व पंचायतों में आरक्षण किया जाएगा. प्रतिवेदन के आंकड़े राज्य शासन द्वारा सार्वजनिक किया जाना है.