
फर्जी जीएसटी पंजीकरण के जरिए किए गए गलत लेनदेन और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ उठाने वाली कंपनियों के खिलाफ शिकंजा कसने की तैयारी है. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और आयकर विभाग इनके खिलाफ 16 मई से विशेष अभियान शुरू कर रहा है. यह अभियान सभी केंद्रीय और राज्य कर प्रशासन चलाएंगे और यह 15 जुलाई तक जारी रहेगा.
एक हजार से अधिक फर्मों की पहचान की गई जीएसटी अधिकारियों ने एक हजार से संदिग्ध कंपनियों और उनके लाभार्थियों की सूची बनाई है. उन पर मुखौटा कंपनी बनाकर फर्जी लेनदेन करने और आईटीसी का लाभ उठाने के आरोप हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि पहचानी गई कुछ फर्मों के कुल कारोबार में वित्त वर्ष 2021, 2022 और 2023 के दौरान भारी उछाल देखने को मिला, इसलिए उनकी व्यापक जांच की जरूरत है. अधिकारी ने यह भी कहा कि विभाग का उद्देश्य फर्जी अथवा जाली बिल बनाने वालों पर अंकुश लगाना है.
पांच करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली कंपनियों के लिए ई-चालान अनिवार्य होगा. यह व्यवस्था एक अगस्त से लागू होगी. अभी तक 10 करोड़ रुपये या अधिक के कारोबार वाली इकाइयों को व्यापार से व्यापार (बी2बी) लेनदेन के लिए ई-चालान निकालना होता है.
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, बी2बी लेनदेन के लिए ई-चालान निकालने की सीमा को 10 करोड़ रुपये से घटाकर पांच करोड़ रुपये कर दिया गया है. इस घोषणा के साथ ई-चालान के तहत सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों का दायरा बढ़ जाएगा और उन्हें ई-चालान लागू करने की आवश्यकता होगी.
आयकर विभाग के डाटा विश्लेषण के साथ ही अन्य विभागों से मिली जानकारियों के आधार पर संदिग्ध कंपनियों की सूची बनाई गई है. इसके अलावा जीएसटी पंजीकरण के आंकड़ों के साथ कारोबारियों के कॉरपोरेट कर रिटर्न का भी विश्लेषण किया गया है. इसमें ये मामले खुले.
राज्य और केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों की बीते 24 अप्रैल को हुई राष्ट्रीय समन्वय की बैठक में जीएसटी के फर्जी पंजीकरण के मुद्दे पर चर्चा हुई थी. अगर पता चलता है कि मुखौटा कंपनी बनाकर फर्जी लेनदेन हुए हैं तो तुरंत जीएसटी पंजीकरण रद्द किया जाएगा.
60 हजार करोड़ का फर्जीवाड़ा पकड़ा था
केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में ऐसा ही एक विशेष अभियान चलाया था. उसके बाद करीब 60 हजार करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का पता चला था. 700 से अधिक लोग गिरफ्तार भी हुए थे. उस दौरान गलत तरीके से लाभ हासिल करने के लिए 22000 से अधिक फर्जी जीएसटी पंजीकरण के मामले पता चले थे.