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वैज्ञानिकों ने धरती का ‘दूसरा चंद्रमा’ खोजा

खगोलविदों ने अंतरिक्ष में पृथ्वी का दूसरा चंद्रमा खोजा है. यह असल में एक उल्कापिंड है जिसकी ‘2023एफडब्ल्यू13’ के रूप म ेंपहचान की गई थी. इसे अर्ध चंद्रमा नाम दिया गया है. इसका आकार 15 मीटर है और यह पृथ्वी से करीब 1.4 करोड़ किलोमीटर दूर मौजूद है. इस नई खोज को लॉइव साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है.

पैन-स्टार्स वेधशाला ने पहली बार देखा पैन-स्टार्स वेधशाला ने पहली बार इस वर्ष मार्च में इस उल्कापिंड की खोज की थी. इसके बाद कनाडा-फ्रांस-हवाई टेलीस्कोप और एरिजोना की दो वेधशालाओं द्वारा इसके अस्तित्व की पुष्टि की गई. इसे आधिकारिक तौर पर एक अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ में माइनर प्लैनेट सेंटर द्वारा सूचीबद्ध किया गया था. बता दें कि माइनर प्लैनेट सेंटर दुनिया भर के खगोलशास्त्रियों की एक संस्था है जो अंतरिक्ष में नए खोजे गए खगोलीय पिंडो का नामकरण करती है. वहीं, शोधकर्ताओं का मानना है कि यह नया चंद्रमा पृथ्वी के चंद्रमा का एक भी टुकड़ा हो सकता है. इसी लिए यह धरती के समान समय में सूरज के चारों ओर चक्कर लगा रहा है.

पृथ्वी के बराबर समय में सूरज की परिक्रमा पूरी कर रहा

नया खोजा गया लगभग पृथ्वी के बराबर समय में सूर्य का एक पूरा चक्कर लगा रहा है. स्काई एंड टेलिस्कोप अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान के खगोलशास्त्रत्त्ी एलन हैरिस ने बताया कि यह 100 ईसा पूर्व से पृथ्वी का पड़ोसी रहा है और 3700 ईस्वी तक अपनी कक्षा के चक्कर लगाता रहेगा. इसके धरती से टकराने की उम्मीद न के बराबर है. बता दें कि धरती के चंद्रमा का व्यास 3,474 किलोमीटर है.

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