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प्री-डायबिटिक हैं, तो वक़्त रहते संभलना ही बेहतर

टरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट कहती है कि 2019 तक भारत में डायबिटीज के करीब 7.7 करोड़ मरीज थे. 2030 तक यह संख्या 10 करोड़ हो सकती है. उसमें भी एक दिक्कत यह है कि हमारे यहां एक बड़ी संख्या प्री-डायबिटीज के शिकार ऐसे लोगों की है, जिन्हें इसका पता ही नहीं है. नेशनल अर्बन डायबिटीज सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 14 प्रतिशत लोग प्री-डायबिटीज की स्थिति में हैं. इतना ही नहीं, 2045 तक इसके मामले 51 प्रतिशत तक बढ़ जाएंगे.

डायबिटीज के बारे में एक सामान्य धारणा है कि जिसे ये बीमारी होनी है उसे जरूर होगी. पर, विशेषज्ञ इसे पूरी तरह सच नहीं मानते. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के अनुसार, प्री-डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जिसे रिवर्स भी किया जा सकता है.

भारत डायबिटीज के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है. आने वाले समय में यह संख्या कितनी बढ़ सकती है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि देश के करीब 14 फीसदी लोग प्री-डायबिटीज के शिकार हैं. इनमें भी 80 प्रतिशत जानते ही नहीं कि वे डायबिटीज के मुहाने पर खड़े हैं. इस स्टेज पर संभलना डायबिटीज से पूरी तरह बचा सकता है.

क्या कहता है आयुर्वेद

जब रक्त में ग्लूकोज का स्तर एक निश्चित सीमा तक पहुंच जाता है तो उसे प्रमेह कहा जाता है. जब प्रमेह की स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो उसे मधुमेह कहते हैं. आयुर्वेद में प्री-डायबिटीज को प्रमेह का पूर्वरूप कहा जाता है. प्रमेह आहार विहार की गलतियों से उत्पन्न त्रिदोषों की खराबी से होने वाली स्वास्थ्य समस्या है, जो कई रोगों का खतरा बढ़ा देती है. खान-पान की गलत आदतों और खराब जीवन शैली के कारण शरीर में कफ जमा होने लगता है, जो शरीर में चैनल्स को ब्लॉक कर देता है जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. अपनाएं कुछ घरेलू उपाय

●2 छोटा चम्मच आंवले के रस में एक छोटा चम्मच हल्दी मिलाकर या एक छोटा चम्मच आंवला और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर का मिश्रण खाना खाने के एक घंटा पहले ले लें.

●रात में थोड़ा मेथीदाना भिगोकर सुबह खाली पेट उस पानी को पिएं.

●2 छोटे चम्मच करेले के जूस में एक छोटा चम्मच आंवले का जूस मिलाकर दो महीने तक रोज लें, इससे अग्नाश्य द्वारा इंसुलिन के स्त्रत्तवण में सुधार आएगा.

●नियमित व्यायाम करें. खासकर वज्रासन, भुजंगासन, बालासन, धनुरासन, मंडूकासन करें.

●जंक फूड, तला-भुना, मैदा, चीनी, फुल क्रीम दूध और फर्मेन्टेड फूड के सेवन से बचें.

●जामुन के बीजों का चूर्ण लें. रोज खाली पेट एक गिलास पानी के साथ लें. ●तांबे के बर्तन में एक कप पानी रखें और इसे सुबह खाली पेट ले लें.

●करेले खाएं. रोज कम से कम एक छोटा चम्मच करेले का जूस लें, इससे रक्त और पेशाब में शुगर का स्तर कम हो जाएगा.

●नियमित ध्यान करें. इससे तनाव व बेचैनी कम होती है. मस्तिष्क शांत होता है और अग्नाश्य की कार्यप्रणाली में सुधार आता है.

क्या है प्री-डायबिटीज

प्री-डायबिटीज, टाइप-2 डायबिटीज विकसित होने से पहले की स्थिति है. इसे ग्लूकोज इंटालरेंस या बॉर्डरलाइन डायबिटीज भी कहते हैं. प्री डायबिटीज में रक्त में शुगर का स्तर सामान्य से अधिक होता है, पर इतना अधिक नहीं होता कि उसे टाइप 2 डायबिटीज कहा जाए. इसमें शरीर में पर्याप्त इंसुलिन तो बनता है, पर रक्त के प्रवाह से शुगर निकालने में यह प्रभावी नहीं होता है. प्री-डायबिटीज में इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण रक्त में शुगर का स्तर अधिक होता है.

जिन्हें प्री-डायबिटीज है, उन्हें डायबिटीज विकसित हो जाए ये जरूरी नहीं है. पर, उनमें इसके विकसित होने का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में 5-15 प्रतिशत तक अधिक होता है. साथ ही प्री-डायबिटिक अगर जरूरी कदम नहीं उठाते हैं तो वो 5-7 साल में पूरी तरह डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं. इस स्तर पर भी हृदय रोगों व नसों को नुकसान पहुंचना शुरू हो सकता है. वहीं जरूरी उपाय अपनाना इसके डायबिटीज में बदलने की आशंका को 70-90 फीसदी कम कर सकता है.

प्री-डायबिटीज टेस्ट इसकी पुष्टि करने के लिए निम्न टेस्ट किए जाते हैं;

● सीबीसी (कम्प्लीट ब्लड काउंट टेस्ट )

● एफबीसी (फॉस्टिंग ब्लड शूगर).

● पीपीबीएस (पोस्टप्रांडियल ब्लड शूगर).

● लिपिड प्रोफाइल.

● एलएफटी (लिवर फंक्शन टेस्ट).

● विटामिन डी3 और बी12.

● एचबी1सी.

किसी भी तरह की आशंका होने पर ये जांच कराना कई तरह से फायदेमंद साबित होती है.

खून में शुगर बढ़ाने वाले कारक

खून में शर्करा का स्तर किसी का भी अनियंत्रित हो सकता है, पर कुछ कारक जैसे अधिक वजन, असक्रिय जीवन शैली, हाई बीपी व कोलेस्ट्रॉल का अधिक रहना खासतौर पर बुरा असर डालते हैं. जिनके परिवार में डायबिटीज का इतिहास है या पुरुषों में कमर का घेरा 40 और महिलाओं में 35 से अधिक है उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है.

ये लक्षण हैं खतरे का संकेत

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, एचबीए1सी का स्तर 5.7-6.4 के बीच होना प्री-डायबिटीज का संकेत देता है. इसके कारण व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखाई देने लगते हैं-

●वजन बढ़ना या घटना ●बार-बार पेशाब आना.

●बार-बार भूख-प्यास लगना ●थकान और ऊर्जा की कमी महसूस होना ●आंखों से धुंधला दिखाई देना ●हाथ व पैरों में सुन्नपन और झुनझुनी होना.

● त्वचा पर काले धब्बे पड़ जाना विशेषकर गले, बगल और निजी अंगों के आसपास.

क्या प्री-डायबिटीज रिवर्सिबल है

ज्यादातर विशेषज्ञ मानते हैं कि प्री डायबिटीज को अनुशासित जीवनशैली और खानपान की आदतों में बदलाव लाकर रिवर्स किया जा सकता है. इसके लिए कुछ बातों का पालन करने से छह माह में ही खून में शुगर का स्तर नियंत्रित होने लगता है.

●दिन में तीन बार मेगा मील्स की बजाय 5-6 बार मिनी मील्स लें, पर, कैलोरी काउंट न बढ़ने पाए.

● सलाद भोजन के पहले खाएं. इससे डायजेस्टिव एंजाइम्स एक्टिव होते हैं.

● भोजन के बाद कुछ देर हल्के कदमों से टहलें. रात का भोजन सोने के दो घंटे पहले लें. नींद पूरी करें. इसकी कमी से इंसुलिन रेजिस्टेंस का खतरा हो सकता है.

● अगर वजन अधिक है तो उसे हेल्दी रेंज में ले आएं. डायबिटीज के शिकार 10 में से 8 लोगों का वजन सामान्य से अधिक है. रोज से कम आधा घंटा पसंदीदा व्यायाम करें. इससे वजन व शुगर दोनों नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी.

● जूस के बजाय साबुत फल खाएं. पर, केला, आम, अंगूर, चीकू से बचें या कम मात्रा में खाएं. चीनी, कैफीन, वसायुक्त दूध, अधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें. धूम्रपान व शराब से दूरी रखें.

●विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार चीनी नया तंबाकू है. जैसे तंबाकू कैंसर के प्रमुख कारणों में है उसी तरह चीनी डायबिटीज का मुख्य कारण है.

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