बढ़ते तापमान का इंसान व जानवरों के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. इसके चलते उन्हें ज्यादा गुस्सा आता है और झुंझलाहट होती है. अमेरिका में हुए अध्ययन में यह दावा किया गया है.
अध्ययन में बताया गया है कि तापमान बढ़ने से हिंसा के मामलों में चार फीसदी, सामूहिक हिंसा के मामलों में 14 फीसदी और सड़क दुर्घटनाओं का खतरा 7.7 फीसदी तक बढ़ गया है.
एरिजोना रिसर्च सेंटर ने अध्ययन के लिए अमेरिका के आठ शहरों के 2009 से 2018 के बीच आंकड़ों का इस्तेमाल किया. इन शहरों में डलास, ह्यूस्टन, बाल्टीमोर, बैटन रूज, शिकागो, लुइसविले, लॉस एंजिल्स और न्यूयॉर्क शामिल थे.
शोधकर्ताओं ने बताया कि गर्मी का असर मस्तिष्क पर पड़ता है. दिमाग को जब पर्याप्त ऑक्सीजन और हाइड्रेशन नहीं मिलती तो नतीजन हमें अवसाद, तनाव, गुस्से का अहसास होता है.
पराबैंगनी किरणें जिम्मेदार
शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने कुत्तों के काटने के मामले और हर दिन के तापमान के बीच संबंध जानने के लिए इन आकड़ों का अध्ययन किया गया. आकड़ों का अध्ययन में पाया की जब सूर्य की किरणें या पराबैंगनी किरणों का स्तर ज्यादा था, तब कुत्तों के हमले के मामले में बढ़ोतरी हुई. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि कौन सी प्रजाति के कुत्तों पर गर्मी का सबसे ज्यादा असर हुआ.
जानवरों की प्रवृत्ति हो रही हिंसक
शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन के लिए उन्होंने कुत्तों के हमलों के करीब 69,525 मामलों का विशलेषण किया. इसके आधार पर उन्होंने बताया कि गर्मियों में कुत्तों को भी काफी ज्यादा गुस्सा आता है. उनके मुताबिक कुत्तों के काटने के मामले गर्मियों में 11 फीसदी बढ़ जाते हैं. शोधकर्ताओं की मानें तो तापमान बढ़ने से ेबंदर-चूहों सहित कई जानवर हिंसक हो रहे हैं.
12-21 डिग्री सेल्सियस में सबसे अच्छा मूड
शोधकर्ताओं की माने तो तापमान बढ़ने से इंसानों के शरीर का स्ट्रेस हॉर्मोन बढ़ने लगता है. स्ट्रेस हॉर्मोन को कॉर्टिसोल भी कहते हैं. अध्ययन के मुताबिक इंसान 12 से 21 डिग्री सेल्सियस के तापमान में सबसे अच्छे मूड में रहता है. इस समय उसे गुस्सा भी कम आता है. उन्होंने बताया कि बढ़ते तापमान के कारण हेट स्पीच या हेट टेक्सट के मामले भी बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं.