टॉप रैंक हासिल करने वाले डॉक्टरों की सामान्य और न्यूरो सर्जरी क्षेत्र में कम रुचि

देश के प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान एम्स, पीजीआई चंडीगढ़ और जिपमेर पांडिचेरी के पीजी पाठ्यक्रमों एमडी, एमएस तथा डीएम (छह साल ), एमसीएच (छह साल) में दाखिले के लिए आयोजित हुई प्रवेश परीक्षा के परिणाम जारी हो गए हैं. इसमें टॉप रैंक हासिल करने वाले डॉक्टरों ने सामान्य और न्यूरो सर्जरी जैसे क्षेत्र में सीट हासिल करने के लिए अपनी रुचि कम दिखाई.
इस बार आईएनआईसीईटी की परीक्षा के बाद सीट अलॉटमेंट के नतीजों के मुताबिक, टॉप 50 रैंक वाले डॉक्टरों में सिर्फ तीन ने ही सर्जरी को प्राथमिकता दी है. इनमें दो ने न्यूरोसर्जरी और एक ने जनरल सर्जरी में दाखिले के लिए रुचि दिखाई है.
इससे पहले वर्ष 2021 के सीट अलॉटमेंट के मुताबिक, टॉप 50 रैंक हासिल करने वालों में 11 डॉक्टरों ने सर्जरी, जनरल सर्जरी और न्यूरो सर्जरी का विकल्प चुना था. इस दौरान पहली रैंक हासिल करने वाले डॉक्टर ने भी एम्स दिल्ली में सर्जरी में दाखिला लिया था. वर्ष 2022 में टॉप 50 रैंक वालों में चार छात्रों ने सर्जरी का विकल्प चुना था. जबकि इस साल सिर्फ तीन लोगों ने ही जनरल सर्जरी और न्यूरो सर्जरी का विकल्प चुना है.
टॉपर ने चुना गायनेकोलॉजिस्ट विभाग तो सोशल मीडिया पर होने लगी चर्चा इस बार एम्स दिल्ली में पीजी की प्रवेश परीक्षा में पहली रैंक प्राप्त करने वाली डॉक्टर ने गायनेकोलॉजिस्ट (स्त्रत्त्ी रोग) विभाग का विकल्प चुना है. इसे सोशल मीडिया पर डॉक्टर आश्चर्य के रूप में देख रहे हैं. कई डॉक्टरों ने ट्वीट कर इसका उल्लेख किया है. डॉ. रोहन शर्मा ने लिखा है कि शायद पहली बार सुना है कि पहली रैंक हासिल करने वाले ने एम्स दिल्ली में पीजी के लिए ऑब्स्ट्रेट्रिक एवं गायनेकोलॉजिस्ट का विकल्प चुना है.
वहीं, मशहूर सर्जन डॉ. बी एल बैरवा ने ट्वीट किया है कि टॉप 50 में सिर्फ तीन ही लोगों ने सर्जरी का विकल्प चुना है. क्या वजह हो सकती है कि टॉपर सर्जरी से जुड़े क्षेत्र में कम रुचि दिखा रहे हैं. वहीं, डॉ. प्रबल अग्रवाल ने ट्वीट किया कि इन टॉपरों में किसी ने हड्डी रोग सर्जन बनने का विकल्प भी नहीं चुना. इसकी क्या वजह हो सकती है. इससे पहले यह डॉक्टरों की पसंद हुआ करता था.
रेडियोलॉजी और मेडिसिन बनी पहली पसंद
इस साल इन तीनों प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए टॉपरों की पहली पसंद मेडिसिन और रेडियोलॉजी रही है. सबसे अधिक 21 डॉक्टरों ने इस बार मेडिसन का विकल्प चुना है, जबकि 10 टॉपर डॉक्टरों ने रेडियोलॉजी और इससे जुड़े क्षेत्र में करियर बनाने का विकल्प चुना है.