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देश में 13 करोड़ लोग प्री-डायबिटीक

देश में मधुमेह रोग का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. बेहद खामोशी से यह हर वर्ग के लोगों को अपना शिकार बना रही है. केवल बुजुर्ग ही नहीं, बच्चें और युवा भी इस बीमारी का शिकार हो चुके हैं. हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पोषित और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार देश में दस करोड़ से भी अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटीक (मधुमेह के ठीक पहले की स्थिति) हैं.

2019-21 में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में पाया गया था कि 15.6 प्रतिशत पुरुषों और 13.5 प्रतिशत महिलाओं के शरीर के रक्त में शक्कर की मात्रा दवाइयों से नियंत्रित होती है. इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका आरएम अंजना और मधुमेह विशेषता केंद्र के प्रबंध महानिदेशक डॉ. मोहन ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के प्री-डायबिटीक होने के कारणों पर विचार करना चाहिए.

नीति आयोग हेल्थ इंडेक्स में यह जानकारी सामने आई है कि मधुमेह रोगियों की संख्या दक्षिणी राज्यों और कुछ उत्तर राज्यों में तेजी से बढ़ गई है. कुछ मध्य और उत्तरी राज्यों में प्री-डायबिटीज आम समस्या बन चुकी है, जहां अभी मधुमेह की आशंका कुछ कम है.

खर्चीला हो रहा है इलाज रेडसीयर कंसल्टिंग द्वारा किए गए अध्ययन में पता चला है कि भारत में मधुमेह और प्री-डायबिटीक की देखभाल का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. देश में 2020-21 में 1700 करोड़ रुपये से यह बाजार बढ़कर 6000 करोड़ रुपये हो चुका है. अध्ययन के अनुसार,भारत में टाइप-2 मधुमेह का मरीज हर साल 11000 रुपये मधुमेह के इलाज पर खर्च करता है.

दुनिया भर में ढाई दशक के भीतर दोगुनी हो जाएगी मधुमेह पीड़ित लोगों की संख्या

वर्तमान में दुनियाभर में 50 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं. अगले 30 साल में हर देश में मधुमेह रोगियों की संख्या में इजाफा होने का अंदेशा है, जो दोगुनी होकर 1.3 अरब तक पहुंच सकती है. किसी भी देश में अगले 30 सालों में मधुमेह की दर गिरने की भी उम्मीद नहीं है. ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक नए विश्लेषण में यह दावा किया गया है. यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के स्कूल ऑफ मेडिसिन में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन (आईएचएमई) में मुख्य शोध विज्ञानी लियान ओंग ने किया है. उन्होंने कहा, मोटापे के बढ़ते स्तर और स्वास्थ्य असमानताओं के कारण मधुमेह बढ़ेगा. 2050 तक दुनिया की आबादी 9.8 अरब होगी, यानि हर 7 में से एक व्यक्ति को मधुमेह. मौतों की संख्या भी दोगुनी होगी और कम आय वाले देश सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.

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