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मासिक धर्म में हो रहा है अधिक रक्तस्राव, इसको नजरअंदाज न करें

कुछ स्त्रियों को मासिक धर्म में भारी रक्तस्राव होता है या अधिक समय तक रहता है. इस स्थिति को मेनोरेजिया या हैवी मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग कहा जाता है. भारी मासिक-धर्म रक्तस्राव चिंता का विषय है. इसमें भारी रक्त प्रवाह और ऐंठन से सामान्य गतिविधियां करना कठिन हो जाता है.

कैसे जानें कि रक्तस्राव अधिक है?

भारी मासिक धर्म रक्तस्राव के लक्षणों में ये शामिल हो सकते हैं:

    हर घंटे एक या अधिक सैनिटरी पैड या टैम्पोन का बदलना.

    आपके मासिक धर्म प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए दोहरी स्वच्छता सुरक्षा की आवश्यकता होती है यानी एक साथ दो पैड इस्तेमाल करने होते हैं.

    सैनिटरी पैड या टैम्पोन बदलने के लिए रात में उठना पड़ता है.

    एक सप्ताह से अधिक समय तक रक्तस्राव होना.

    एक इंच से अधिक बड़े रक्त के थक्के निकलना.

    भारी मासिक प्रवाह के कारण दैनिक गतिविधियों को सीमित करने की ज़रूरत पड़ना.

    खून की कमी के परिणामस्वरूप थकावट या सांस लेने में तकलीफ महसूस होना.

मदद की ज़रूरत हो सकती है

यदि आप अपने मासिक धर्म से डरती हैं क्योंकि आपको मासिक धर्म में भारी रक्तस्राव होता है, तो अपने डॉक्टर से बात करें. ऐसे कई उपचार हैं जो मदद कर सकते हैं. माहवारी की यह अनियमितता ख़ासकर किशोरियों में देखने को मिलती है, जिनके मासिक धर्म की हाल ही में शुरुआत हुई हो. यही नहीं, पीरियड्स में पेट के निचले हिस्से में दर्द की समस्या भी आम है, जो वैसे तो सामान्य होता है, पर कुछ स्थितियों में किसी अंदरूनी समस्या का संकेत भी हो सकता है.

दर्द के कारण को भी समझिए

पीरियड क्रैम्प्स भी टीनेज लड़कियों में सामान्य समस्या है. आमतौर पर यह मासिक धर्म के शुरुआती 1-2 दिन में ज़्यादा होते हैं. मासिक धर्म में ऐंठन प्रोस्टाग्लैंडीन के कारण होती है, शरीर में एक रसायन जो गर्भाशय की मांसपेशियों को सिकोड़ता है. अमूमन पेट के निचले हिस्से में हीटिंग पैड रखना, या दर्द निवारक दवाइयों का सेवन इस समस्या से निजात दिलाने में सहायक सिद्ध होता है. अगर फिर भी दर्द असहनीय बना रहता है, तो गहन जांच या अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता पड़ सकती है.

सुझाव और समाधान

जीवनशैली में बदलाव लाएं

वज़न को नियंत्रण में रखें, तनाव को कम करें, नियमित रूप से व्यायाम करें, स्वस्थ आहार का पालन करें तथा अच्छी नींद की आदतें अपनाएं.

सैनिटरी नैपकिन को समय-समय पर बदलते रहें

मासिक धर्म के दौरान शरीर से अशुद्ध रक्त निकलता है जिसे सैनिटरी नैपकिन अवशोषित करता रहता है. इस दौरान शरीर कई प्रकार के संक्रमण के प्रति अति संवेदशील हो जाता है. ऐसे में ज़्यादा देर तक एक ही पैड के इस्तेमाल से जननांगों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इन दिक़्क़तों से बचे रहने के लिए सैनिटरी नैपकिन को समय-समय पर बदलते रहें. मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखते हुए हर 3-4 घंटे पर पैड को ज़रूर बदलें. गुनगुने पानी से नियमित स्नान करें. अगर बहुत अधिक रक्तस्राव हुआ हो, तो शाम को भी स्नान कर सकती हैं.

पीरियड्स में रखें खान-पान का ध्यान…

हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, दही, केला, कीवी, अनन्नास, डार्क चॉकलेट खाएं.

 चाय, कॉफ़ी, तली हुई चीज़ें, खट्टे फल आदि से परहेज़ करें.

रक्तस्राव बना रहता हो, तो इसे सहती न रहें. इसके बारे में चिकित्सक से बात करें. दर्द या असहजता रहती हो, तो भी डॉक्टर को ज़रूर बताएं.

पीरियड्स का समय, एक हॉर्मोनल रोलर-कोस्टर

किशोरावस्था में शरीर की हॉर्मोनल ऐक्सिस अपरिपक्व होती है. इस कारण शुरुआती कुछ सालों में पीरियड्स नियमित नहीं होते. लेकिन अगर यह अनियमितता बरकरार रहती है, तो इसका कारण खोजना ज़रूरी हो जाता है. आज के फास्ट फूड कल्चर व अल्प शारीरिक गतिविधियों वाली जीवनशैली ने पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम जैसी व्याधियों को बढ़ावा दिया है. साथ ही पीरियड्स से कुछ दिन पहले से चिड़चिड़ाहट, पैरों में दर्द या सूजन आदि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं.

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