डीपफेक तकनीक से अपराधों का जाल फैलता जा रहा है. आज के दौर में ऑनलाइन होने से बचा तो नहीं जा सकता, पर सतर्क रहने में मदद करेंगी ये टिप्स
साइबर अपराध के क्षेत्र में नकली वीडियो के बढ़ते खतरे को देखते हुए ग्लोबल स्तर पर चिंता व्यक्त की जा रही है. ऐसे-ऐसे टूल्स का उपयोग किया जा रहा है कि यूजर बिना सोचे-समझे पैसे या जरूरी जानकारी आदि साझा करने को विवश हो जाए.
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने पहले ही डीप फेक वीडियो में चिंताजनक वृद्धि का खुलासा करते हुए चेतावनी जारी कर दी है. इस तरह की डीप फेक की घटनाएं 900 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही हैं. डीप फेक अपराध से बचाव ज्यादातर जागरूकता पर निर्भर करता है. जरूरी है कि लोग साइबर अपराधी के डीप फेक संबंधी चालफरेब को समझें और उनकी जानकारी रखें. जैसा कि द सन द्वारा रिपोर्ट में कहा गया है, डीपफेक तकनीक की क्षमताओं के बारे में कम जानकारी रखने वाले लोगों के इसका शिकार होने की ज्यादा संभावना बनती है. जैसे आवाज की क्लोनिंग टेक्नीक की ही बात करें. तकनीक में उन्नत अमेरिका जैसे देश में भी 56.5 प्रतिशत वयस्क ही वॉयस क्लोन के बारे में जानते हैं. साइबर सुरक्षा के मामले में तकनीकी विशेषज्ञ एक और चुनौती की बात करते हैं-वह है साइबर सिक्योरिटी संबंधी धमकी. डीपफेक वीडियो के माध्यम से साइबर अपराधी विश्वसनीय फिशिंग अटैक तैयार कर सकते हैं. हालांकि डीपफेक की घातक पहुंच को विफल बनाने के तरीके भी निकाले जा रहे हैं, लेकिन आपको भी सतर्क रहने की जरूरत है.
किसी भी ऐसे वीडियो या ऑडियो पर संदेह जरूर करें, जो कुछ ज्यादा ही लुभावना, आकर्षक, लालच देने वाला, आसान या तनिक भी संदेह उपजाने वाला हो. या कुछ ऐसा हो, जो ऑनलाइन आपके साथ आज तक नहीं हुआ. कोई चीज बहुत चौंकाने वाली या अविश्वसनीय है, तो यह संभवत: एक डीपफेक है.
ईमेल या टेक्स्ट संदेशों में लिंक पर क्लिक करते समय सावधानी बरतें, भले ही वे किसी ऐसे व्यक्ति से आए हों जिन्हें आप जानते हों. डीपफेक का प्रचार करने वाले लोग इन लिंक का उपयोग अपने मनगढ़ंत वीडियो या ऑडियो को प्रसारित करने के लिए कर सकते हैं.