डेटिंग ऐप पर दोस्ती शादी की गारंटी नहीं हाईकोर्ट
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नई दिल्ली. डेटिंग ऐप पर दोस्ती कर शारीरिक संबंध बनाना शादी का वादा नहीं है. यह टिप्पणी दिल्ली उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के एक मामले की सुनवाई के दौरान की है. अदालत ने कहा कि आप डेटिंग ऐप पर दोस्ती कर रहे हैं. यह मेट्रीमोनियल साइट नहीं है, जहां मिलना ही शादी के इरादे और वादे के साथ होता है.
न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने दुष्कर्म के मामले में एक आरोपी को नियमित जमानत देते हुए यह उदाहरण दिया. पीठ ने कहा कि इस मामले को विस्तृत तौर पर सुनने के बाद अभियोजन का पक्ष कमजोर रहा. पीड़िता खुद स्वीकार कर रही है कि डेटिंग ऐप पर उसकी आरोपी के साथ दोस्ती हुई.
दोनों ने लंबे समय तक व्हाट्सऐप पर चैटिंग की, लेकिन चैटिंग में कहीं भी आरोपी की तरफ से शादी का वादा या प्रस्ताव नहीं दिया गया. इतना ही नहीं पीड़िता ने भी शादी को लेकर कोई बात नहीं की. पीठ ने माना दोनों की कई बार मुलाकात हुई. शारीरिक संबंध बने, लेकिन पीड़िता ने माना की यह सहमति से था तो शादी का झूठा वादा कहां से आ गया.
आरोपी की ओर से उच्च शिक्षा प्राप्त होने के झूठ को लेकर पीठ ने कहा कि शारीरिक संबंध बनाने के समय उच्च शिक्षित होने के आधार पर रुतबा या साख मायने नहीं रखती. चैट में कामुक कहानियां दोहराई पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि जिस समय पीड़िता और आरोपी के बीच व्हाट्सऐप चैट हो रही थी, उस समय लगातार पीड़िता की तरफ से आरोपी को कामुक कहानियां और बातें भेजी जा रही थीं.