स्मार्टफोन-लैपटॉप से चिपके रहने वालों का बीपी बढ़ रहा
स्मार्टफोन, लैपटॉप और टीवी जैसे डिजिटल स्क्रीन के गैजेट पर अधिक समय बिताने से स्वस्थ लोगों में भी उच्च रक्तचाप (बीपी) की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. यह जानकारी दिल्ली के बाबा साहेब अंबेडकर मेडिकल कॉलेज में लगभग 300 मेडिकल के छात्रों पर हुए अध्ययन में सामने आई है.
शोध में शामिल हुए मेडिकल छात्र अभिस्यांत श्रीवास्तव ने बताया कि अध्ययन के बेहतर नतीजों के लिए इसमें स्टीक बीएमआई, धूम्रपान न करने और शराब न पीने वाले एकदम स्वस्थ मेडिकल के छात्रों को शामिल किया गया. पहले से अधिक रक्तचाप से पीड़ित छात्रों को इसमें शामिल नहीं किया गया.
इस दौरान छात्रों का स्क्रीन टाइम दर्ज किया गया और लगभग तीन सप्ताह तक उनके बीपी पर नजर रखी गई. इसमें पता चला कि जिन छात्रों का स्क्रीन टाइम दिन में साढ़े छह घंटे से अधिक था उनमें बीपी अधिक बढ़ा हुआ पाया गया. दिन में आठ घंटे तक स्क्रीन टाइम वाले मेडिकल छात्रों में सबसे अधिक खतरा था.
मानसिक विकास पर भी असर : स्क्रीन टाइम बढ़ने से शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है और इंसान का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है. एम्स के हार्मोन रोग विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर राजेश खड़गावत ने बताया कि बच्चों के लंबे समय तक मोबाइल, टीवी या आईपैड देखने से आंख की रोशनी प्रभावित होने के साथ उनका मानसिक व शारीरिक विकास भी प्रभावित होता है. एक ही मुद्रा में लंबे समय तक बैठे रहने से शारीरिक गतिविधियां नहीं होती हैं. इससे बच्चों में मोटापा, इन्सुलिन प्रतिरोध, मधुमेह, चिड़चिड़ापन, अवसाद और व्यवहार में आक्रामकता जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं.
बच्चों में मोटापे की भी बड़ी वजह : इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के ताजा दिशा-निर्देशों के हिसाब से बच्चों के लिए ज्यादा स्क्रीन टाइम सबसे अधिक नुकसानदायक होता है. इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के डॉक्टरों ने 13 अलग-अलग अध्ययनों के हवाले से कहा है कि स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से भी बच्चों में मोटापा बढ़ता है.
ये हैं मानक
● दो साल तक के बच्चे बिल्कुल भी डिजिटल स्क्रीन न देखें
● दो से पांच साल तक के बच्चे अधिकतम एक घंटे से अधिक डिजिटल स्क्रीन पर समय न बिताएं
● पांच साल से अधिक उम्र के बच्चे दो घंटे से अधिक समय डिजिटल स्क्रीन पर न बिताएं