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कोयले से गैस के लिए साढ़े आठ हजार करोड़ मंजूर

केंद्र सरकार ने कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए 8,500 करोड़ के परिव्यय को मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर फैसला लिया गया.

मंत्रिमंडल ने गैसीकरण के लिए सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र की कोयला, लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने की योजना पर मुहर लगाई. इसके लिए सीईएल की गेल और बीएचईएल के साथ संयुक्त उद्यम भी बनाए गए हैं.

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि सरकार ने कोयला के इतिहास में सबसे बड़ा फैसला किया है. सरकार ने तीन श्रेणियों में कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के प्रोत्साहन के लिए 8,500 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी है. उन्होंने कहा कि देश में 125 वर्ष की जरुरत से ज्यादा कोयला भंडार मौजूद है. इस वक्त हम 80 फीसदी कोयला बिजली उत्पादन में इस्तेमाल करते हैं. प्रहलाद पटेल ने कहा कि सिंथेटिक गैस के साथ अमोनिया और अमोनियम नाइट्रेट सहित सौ से ज्यादा उत्पाद बनाए जा सकते हैं.

सिंथेटिक गैस को बाद में नेचुरल गैस और एलपीजी में भी बदला जा सकता है. उन्होंने कहा कि सीआईएल और गेल 13 हजार 52 करोड़ की लागत से पश्चिम बंगाल और सीआईएल और बीएचईएल 11 हजार 782 करोड़ से ओडिशा में उपक्रम लगाएंगे. उन्होंने कहा, कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए तीन श्रेणियों में कुल 8,500 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे. पहली श्रेणी में सार्वजनिक उपक्रमों के लिए 4,050 करोड़ का प्रावधान है. इसमें तीन परियोजनाओं तक 1350 करोड़ या पूंजीगत व्यय का 15 जो भी कम हो, एक मुश्त प्रदान किया जाएगा. दूसरी श्रेणी में निजी क्षेत्र के साथ सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों के लिए 3850 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसमें एक हजार करोड़ का एकमुश्त अनुदान दिया जाएगा.

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