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मकान-निर्माण में तेज बढ़ता भारत

आर्थिक समृद्धि के शुरुआती दौर में केवल अपनी छत होने को ही उस परिवार-विशेष के लिए आर्थिक सफलता का पैमाना माना जाता था. परंतु, धीरे-धीरे वह परिवार आर्थिक तरक्की करते-करते इस स्तर पर पहुंचने लगा है कि उसे छोटे से मकान के स्थान पर सर्वसुविधा युक्त बड़े मकान की जरूरत महसूस होने लगती है. यह विकास किसी भी देश के लिए शुभ माना जाता है. अच्छी बात है कि भारत भी अब इसका अनुभव करने लगा है. हाल ही में दिल्ली के नजदीक गुरुग्राम में एक सर्वसुविधा युक्त आवासीय प्रोजेक्ट की घोषणा की गई थी, जिसमें 7,200 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 1,113 फ्लैट मात्र तीन दिन में बिक गए. यह भारत की आर्थिक संपन्नता को ही दर्शाता है. वैसे भी, अपने देश में मकान खरीदने को एक ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ के रूप में देखा जाता है. संभवत इसी कारण आवासीय-निर्माण की दृष्टि से वर्ष 2023 भारत के लिए काफी सफल साबित हुआ है.

पिछले साल भारत का रियल एस्टेट बाजार लगभग 26,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर का था, जो 2030 में बढ़कर एक लाख करोड़ डॉलर का हो सकता है और साल 2047 तक इसके 5.8 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. देश में साल 2022 में 3.27 लाख करोड़ रुपये की कीमत के मकान बेचे गए थे, जिसमें पिछले साल स्वाभाविक इजाफा हुआ और आकलन है कि 2023 में 4.5 लाख करोड़ रुपये की कीमत के मकान बेचे गए हैं. 38 प्रतिशत की यह वृद्धि दर संकेत है कि इस क्षेत्र में मांग बहुत अधिक है. भारत में रिहायशी मकानों की बिक्री इसलिए इतनी हो रही है, क्योंकि यहां आर्थिक विकास ने तेज गति पकड़ ली है. गरीब वर्ग अब मध्यवर्ग बन रहा है, तो मध्यवर्ग अपने ऊपर के वर्ग में दाखिल हो रहा है. फिर, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी ब्याज दरों को लंबे समय से स्थिर रखा हुआ है.

भारत की मुद्रास्फीति दर भी नियंत्रण में है. चूंकि, भारत के मध्यवर्ग की आय बढ़ी है, इसीलिए रियल एस्टेट में भी निवेश बढ़ गया है. केंद्र सरकार भी अपने नागरिकों को निवेश के लिए प्रोत्साहन दे रही है. आय कर की दरें कम की गई हैं और नए मकान खरीदने वालों को सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है. ‘अफोर्डेबल हाउसिंग’ योजना भी लागू की गई है. ये सब संकेत हैं कि अब हर परिवार के लिए घर मिलने का सपना बहुत दूर नहीं है. इसका लाभ परिवार-विशेष को होगा ही, देश को भी होगा.

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