यूएई के पहले मंदिर में राजस्थान के कारीगरों की कला दिखेगी

पिछले चार वर्षों से संगमरमर के टुकड़ों को तराशकर स्तंभों के साथ भगवान राम, भगवान गणेश व अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियों में तब्दील करने वाले राजस्थान के कारीगर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. उनकी कला को अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर में जगह मिली है. इस मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी को होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 फरवरी को अबू धाबी के शेख जायद स्टेडियम में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे. अगले दिन वह बीएपीएस मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे.
राजस्थान के मकराना के गांवों के कारीगरों ने भव्य मंदिर की कल्पना को साकार करने के लिए अपनी मूर्तिकला के साथ 2019 में एक रचनात्मक यात्रा शुरू की थी. यह कोविड-19 महामारी के दौरान भी जारी रही. मकराना के राम किशन सिंह ने बताया कि मैं तीसरी पीढ़ी का मूर्तिकार हूं और हम आजीविका के लिए पत्थरों को तराशने का काम करते हैं. मैं अबू धाबी में एक हिंदू मंदिर के विचार को लेकर बहुत उत्साहित था. भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देने के लिए इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है. उन्होंने कहा कि मैंने मंदिर के लिए 83 टुकड़ों पर काम किया है. पांचवीं पीढ़ी के कारीगर बलराम टोंक ने कहा कि हमने बेहतरीन सफेद संगमरमर और गुलाबी बलुआ पत्थर का उपयोग करके जटिल नक्काशी बनाई है, जो पवित्र ग्रंथों की कहानियों को बयान करती है. ये टुकड़े अब मंदिर के केंद्रबिंदु हैं. टोंक और उनके भाइयों ने अयोध्या में नये राम मंदिर पर भी काम किया.
27 एकड़ में बना है मंदिर
मंदिर का निर्माण बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था द्वारा दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल रहबा के पास अबू मुरीखा में 27 एकड़ की जगह पर किया जा रहा है. मंदिर के अग्रभाग पर बलुआ पत्थर की पृष्ठभूमि पर उत्कृष्ट संगमरमर की नक्काशी है, जिसे राजस्थान और गुजरात के कुशल कारीगरों द्वारा 25,000 से अधिक पत्थर के टुकड़ों से तैयार किया गया है.
मंदिर में दो गुंबद व सात शिखर
मंदिर के वास्तुशिल्प तत्वों में दो घुमट, सात शिखर शामिल हैं जो संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरात का प्रतीक हैं. प्रत्येक शिखर के भीतर नक्काशी रामायण, शिव पुराण, भागवतम और महाभारत के साथ भगवान जगन्नाथ, भगवान स्वामीनारायण, भगवान वेंकटेश्वर और भगवान अयप्पा को दर्शाती है.