एआई पोस्ट पर ‘नकली’ का ठप्पा लगा देगा फेसबुक

नई दिल्ली: हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का दखल काफी बढ़ चुका है. कई मामलों में वर्चुअल और वास्तविक पोस्ट में अंतर करना मुश्किल हो जाता है. इस वजह से मेटा ने सोशल मीडिया सामग्री पर लेबल लगाने का फैसला किया है, जिससे यह पता चल सके कि सामग्री मशीन ने बनाई है या इंसान ने.
फेसबुक और इंस्टाग्राम ने एआई सामग्रियों पर लेबल लगाने का फैसला किया है. मेटा में कंटेंट पॉलिसी की वाइस प्रेसिडेंट मोनिका बिकर्ट ने यह जानकारी दी है. मेटा ने घोषणा की है कि सोशल मीडिया पर डिजिटल रूप से निर्मित ऑडियो, वीडियो या तस्वीरों पर एआई से निर्मित का लेबल लगाया जाएगा.
मई से होगी शुरुआत यह काम मई से शुरू हो जाएगा. चुनाव से पहले कृत्रिम बुद्धिमत्ता टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर बनाई गई भ्रामक सामग्री पर नजर रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है. बिकर्ट ने कहा कि यह फैसला हेर-फेर की गई सामग्री के प्रति कंपनी के व्यवहार को बदल देगा. इससे पोस्ट हटाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. लोग कंटेंट देखकर ही समझ जाएंगे कि इसे कैसे बनाया गया था. मेटा ने इससे पहले अन्य कंपनियों के जेनरेटर एआई टूल का उपयोग करके बनाई गई छवियों का पता लगाने की योजना की घोषणा की थी, लेकिन उस समय तारीख नहीं बताई गई थी. कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि लेबलिंग फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स पर पोस्ट की गई सामग्री पर लागू होगा.
कंपनियां कर्मचारियों की संख्या घटाएंगी
एडेको ग्रुप ऑक्सफोर्ड इकोनोमिक्स की ओर से किए गए सर्वे के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण कंपनियां कर्मचारियों की संख्या कम करेंगी. पांच वर्षों में कंपनियां कम लोगों को रोजगार देंगी. दुनिया भर की दो हजार कंपनियों के अधिकारियों के सर्वेक्षण पर आधारित रिपोर्ट में एडेको ने कहा, 41 अधिकारियों ने कहा कि एआई के कारण टीम छोटी होगी. गूगल सहित कई कंपनियों ने हाल में छंटनी की है. उनका ध्यान अब चैट जीपीटी, जेमिनी जैसे चैटबॉट पर है.
अमेरिका में चुनाव से पहले लिया गया है फैसला
ये बदलाव नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से कुछ महीने पहले किए गए हैं. शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि चुनाव में जेनेरिक एआई का इस्तेमाल कर इसे प्रभावित किया जा सकता है. इंडोनेशिया जैसे स्थानों में एआई उपकरणों को तैनात करना शुरू कर दिया है.