छत्तीसगढ़

ISI को खटक रही जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की आवाजाही

जम्मू-कश्मीर में अचानक से आतंकी घटनाओं में तेजी के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ बताया जा रहा है. भारतीय खुफिया एजेसियों की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है.

सुरक्षा एजेंसी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि बीते दिनों लोकसभा चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर में बंपर वोटिंग से पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका बौखलाए हुए हैं. उन्हें अपने वजूद और सपोर्ट बेस की चिंता होने लगी है. मोदी सरकार की तीसरी पारी में पाकिस्तान की उपेक्षा से भी आतंकी सरगना बौखलाए हुए हैं. उन्हें लग रहा है कि अगर मोदी सरकार की कश्मीर नीति सफलतापूर्वक आगे बढ़ती रही तो वे क्षेत्र में अप्रासंगिक हो जाएंगे.

9 जून से एक के बाद एक तीन आतंकी घटनाओं को लेकर खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्र कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव से पहले दहशतगर्द वहां खौफ फैलाना चाहते हैं. इसलिए लगातार हमले कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान वोटिंग और लोकतंत्र को लेकर जो सकारात्मक माहौल बना है उसे पटरी से उतारा जाए. हाल के दिनों में पर्यटकों की लंबी-लंबी कतारें भी आईएसआई को खटक रही है. वहीं, रियासी हमले की जांच में एजेंसियों व एनआईए ने कुछ सुराग जुटाए हैं. जल्द इनपुट के आधार पर एनआईए को हमले की जांच पूरी तरह से सौंपी जा सकती है.

टीआरएफ गुट के हमले

खुफिया इनपुट के मुताबिक टीआरएफ का ऑफशूट हिट स्क्वाड जो फॉल्कन स्क्वाड के नाम से जाना जाता है, वह इन हमलों को अंजाम दे रहा है. इस गिरोह में विदेशी दहशतगर्द भी शामिल हैं. इसलिए ये तत्व घाटी में अमन के माहौल को खत्म करना चाहते हैं.

पाकसे आए हैं आतंकी

सूत्रों के मुताबिक जम्मू में पिछले तीन दिनों में हुए तीन हमले में लश्कर और जैश से जुड़े छद्म गुटों की भागीदारी सामने आई है. ये दहशतगर्द कुछ महीने पहले पाकिस्तान से भारत में दाखिल होकर जम्मू की पहाड़ियों में छिपकर अपनी गतिविधियां चला रहे है.

समर्थन पर खतरा मंडराया

सुरक्षा जानकारों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में अच्छी वोटिंग को आतंकियों के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है. पाकिस्तान की एजेंसियां चाहती हैं कि किसी भी सूरत में यहां अस्थिरता बनी रहे. लोकतंत्र में जनता की भागीदारी से आतंकियों को जमीनी मदद मिलनी बंद हो सकती है.

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