Maharaj में रेप सीन के बाद बेचैन हो गई थीं शालिनी पांडे, बोलीं- मैं बंद कमरे में
Shalini Pandey on Rape Scene: जयदीप अहलावत और जुनैद खान की फिल्म ‘महाराज’ नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है. इस फिल्म में शालिनी पांडे ने अपने एक सीन के बारे में बात की है. आइए जानते हैं क्या बोलीं शालिनी पांडे.
जुनैद खान, शालिनी पांडे, शारवरी और जयदीप अहलावत की फिल्म महाराज नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है. फिल्म की रिलीज से पहले फिल्म को लेकर थोड़ी कॉन्ट्रोवर्सी भी देखने को मिली थी. अब फिल्म की एक्ट्रेस शालिनी पांडे ने फिल्म में रेप सीन को लेकर बात की है. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि फिल्म में रेप सीन शूट करने के बाद वो बेचैन हो गई थीं. इस फिल्म में जयदीप ने महाराज का किरदार निभाया है. शालिनी ने यह भी बताया कि जब उन्होंने पहली बार अपने किरदार के बारे में पढ़ा था तो उन्हें किरदार बहुत ही बेवकूफ लगा था.
जयदीप के साथ था शालिनी का सीन
महाराज में जयदीप ने जदुनाथ महाराज की भूमिका निभाई है. फिल्म में महाराज ने खुद को लेकर यह भ्रम फैलाया हुआ है कि युवतियों को ‘चरण सेवा’ नाम की रस्म के तहत खुद को महाराज को समर्पित करना होता है. फिल्म में ऐसा दिखाया गया है कि महाराज ने ऐसा भ्रम फैलाया है कि उनके द्वारा युवतियों का रेप किया जाना ठीक है और समाज ने इसपर अपनी आंखें बंद कर ली हैं.
चरण सेवा सीन पर क्या बोलीं शालिनी पांडे
इस चरण सेवा वाले सीन को लेकर शालिनी बॉलीवुड हंगामा को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “जब मैनें वास्तव में वो सीन माहारज के साथ किया, चरण सेवा वाला सीन…जबतक मैनें उसे किया मुझे नहीं पता था कि वो मेरे मन पर क्या प्रभाव छोड़ेगा क्योंकि जैसे ही मैनें सीन खत्म किया अचानक मैं बाहर गई और अपनी टीम को बोला कि मैं एक बंद कमरे में नहीं रहना चाहती हूं, मुझे वक्त चाहिए, ताजी हवा चाहिए, मैं बेचैन हो रही हूं.”
स्क्रिप्ट पढ़कर खुद के किरदार को समझा था बेवकूफ
शालिनी ने कहा कि उन्होंने इस बारे में डायरेक्टर को बताया और उनके को-स्टार जयदीप खुद ही इस बात को समझ गए थे. उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि असल लाइफ में उनकी सोच बहुत अलग है. उन्होंने बताया कि जब मैनें पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ी तो उन्हें किशोरी (शालिनी का फिल्म में किरदार) एक बेवकूफ महिला लगी. उन्होंने कहा कि मुझे शुरू में लगा कि उनका किरदार बेवकूफ है लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ वो बेवकूफ नहीं है, बस उसे कुछ बेहतर पता नहीं है. उसे इस तरह से कंडिशन किया गया है कि वह जो कुछ भी करती थी उसपर विश्वास करती थी.