कांजी हाउस और गोठानों से मालिक नहीं छुड़ा रहे मवेशी
रायपुर: शहर की सड़कों पर से आवारा मवेशियों को पकडकर कांजी हाउस व गोठानों में भेज दिया जाता है, लेकिन पशु मालिक अपने पशुओं को कांजी हाउस से छुड़ाने में कतरा रहे हैं. क्योंकि, कांजी हाउस में जो मवेशी है, उसमें से अधिकांश दुधारु नहीं हैं. इस वजह से लाखेनगर, अटारी व जारवाय कांजी हाउस में बड़ी तादाद में मवेशी हैं. नगर निगम को कांजी हाउस में मजदूरों से लेकर मवेशियों के दाना-पानी के लिए भी खर्च उठाना पड़ रहा है.
शहर के अटारी व जरवाय कांजी हाउस में दिसंबर से अब तक केवल 15 मवेशी को पशु मालिक छुड़ाकर ले गए हैं, जिसमें नगर निगम को 15 हजार रुपए मिले. जबकि, अटारी में ही 200 व जरवाय में 100 मवेशी हैं. कांजी हाउस के कर्मचारी ने बताया, रोजाना करीब 9 क्विंटल सूखा पैरा कुट्टी, 4 क्विंटल चुन्नी व चोकर मवेशी को देते हैं. जब मवेशी मालिक अपने मवेशी को छुड़ाने आते हैं, तो सिर्फ एक हजार रुपए देकर चले जाते हैं. शहर के गोठानों में मवेशियों की समस्या बढ़ती जा रही है, जिसके चलते सड़कों पर सांड और गायों की जमघट रहती है. गोठान के एक कर्मचारी ने कहा, हमने बार-बार निगम को इस समस्या की रिपोर्ट की है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
आवारा मवेशियों को पकड़ने की जिमेदारी इनकी: नगर पालिका के आयुक्त अबिनाश मिश्रा ने उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. हेमशंकर देषलहरा को उपायुक्त और डॉ. तृप्ति पाणीग्रही को सहायक नोडल अधिकारी बनाया गया है. आयुक्त ने जिमेदार अधिकारियों को जोन में स्थित कांजी हाउस और गोठानों से गायों को बांधकर रखने के निर्देश जारी किए हैं. साथ ही पशुपालकों को अपने पशुओं को बांधकर रखने और खुले में न छोड़ने के लिए समझाया गया है. इसके अलावा लोग निदान 1100 में आवारा पशुओं की शिकायत दर्ज करा सकते हैं.