शाही जामा मस्जिद में रविवार को सर्वे के दौरान बवाल हो गया. अदालत के आदेश पर दूसरी बार सर्वे करने पहुंची कोर्ट कमिश्नर की टीम को देखते ही लोग उग्र हो गए. सुबह पौने नौ बजे उपद्रवियों ने पहले जामा मस्जिद के बाहर और फिर नखासा इलाके में पुलिस पर पथराव किया. उपद्रव के दौरान चार युवकों की मौत हो गई.
बवाल के दौरान उपद्रवियों ने करीब एक दर्जन वाहनों को आग के हवाले कर दिया. फायरिंग भी की गई. हिंसा के दौरान एसपी के पीआरओ, सीओ समेत दर्जनभर पुलिसकर्मी घायल हो गए. अधिकारियों ने भीड़ को समझाने की कोशिश की पर हालात बेकाबू हो गए. स्थिति पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. लाठीचार्ज और हवाई फायरिंग भी की गई. करीब ढाई घंटे तक हिंसा चलती रही. पुलिस ने दो महिलाओं समेत 15 लोगों को हिरासत में लिया है.
रविवार को कोर्ट कमिश्नर रमेश राघव के साथ वादी अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई पुलिस बल के साथ दोबारा सर्वे करने शाही जामा मस्जिद पहुंचे थे. करीब 7.30 बजे सर्वे शुरू हुआ. इस बीच मस्जिद के पीछे गलियों और सड़कों पर मुस्लिम समाज के लोग जुटने लगे. डीएम ने लोगों को समझाया, लेकिन लोग नहीं माने. इस बीच मस्जिद के पीछे की गली में उग्र भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस ने लाठियां भांजी तो पथराव शुरू हो गया. पुलिस को दोनों ओर से घेरकर काफी देर तक पत्थरबाजी हुई. उपद्रवियों ने आधा दर्जन से अधिक वाहनों में तोड़फोड़ करते हुए मस्जिद के पीछे खड़ी दो कार, चार बाइक को आग के हवाले कर दिया. हालात बिगड़ते देख उपद्रवियों को गोली मारने का आदेश देना पड़ा. उपद्रवियों ने भी फायरिंग शुरू कर दी. बवाल के दौरान कोट गर्वी निवासी नईम, सरायतरीन निवासी बिलाल, हयातनगर निवासी नुमान की मौत हो गई. एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने देर रात बताया कि तीनों युवकों की मौत 315 बोर के तमंचे से चली गोली से हुई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है. देर रात अस्पताल में भर्ती अयान की भी मौत हो गई. इसकी पुष्टि मंडलायुक्त ने की. हालात के मद्देनजर जिले में 30 नवंबर तक निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. बाहरी लोगों का प्रवेश रोक दिया गया है.
सर्वे आदेश के बाद से ही पनप रहा था गुस्सा : शाही जामा मस्जिद पर हरिहर मंदिर होने का दावा 19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में किया गया. कैला देवी मंदिर के महंत त्रषिराज गिरि महाराज की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने यह दावा पेश किया. इसके बाद से ही लोगों में नाराजगी थी.