शारीरिक रूप से सक्रिय रहने की आदत लंबे समय तक दर्द को रोकने और उसके प्रबंधन में मददगार हो सकती है. इससे दर्द सहन करने की क्षमता में बढो़तरी होती है. नार्वे में करीब दस हजार वयस्कों पर हुए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है. इस अध्ययन को प्लोस वन जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
नॉर्वे के निवर्सिटी अस्पताल में हुए अध्ययन में 10732 वयस्कों को शामिल किया गया. इनके अनुभवों के आधार पर आंकड़े हासिल किए गए. यह एक ट्रोमसो अध्ययन था, जो समय समय पर नॉर्वे में किया जाता है. यह देश की ज्यादातर जनसंख्या को शामिल किया जाने वाला एक सर्वे होता है. शोधकर्ताओं ने सर्वे के दो चरणों में जमा किए गए आंकड़ों का उपयोग किया जो कि 2007 से 2008 और 2015 से 2016 के बीच लिए गए थे.
अध्ययन के लेखक एंडर्स एर्नेस ने बताया कि पुराने अध्ययनों में विशेष वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया गया था. जबिक, नए अध्ययन में दर्द सहने और शारीरिक गतिविधि के बीच संबंध में ज्यादा स्पष्टता लाने का प्रयास किया गया है.
खास टेस्ट के जरिये आंकी गई क्षमता
अध्ययन के दौरान हर प्रतिभागी के दर्द सहन करने की क्षमता एक खास टेस्ट के जरिये आंकी गई. इसमें उन्हें अपना हाथ ठंडे पानी में डुबोना था. शोधकर्ताओं ने कहा कि इस प्रकिया तुलनात्मक मापन किया भी किया जा सकता था.
उपचार पद्धतियों के विकास में मददगार
एर्नेस का कहना है कि खेल और सैन्य सहित कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां इंसान की शारीरिक क्षमता के साथ दर्द सहने की क्षमता का भी बहुत महत्व होता है. सालों से विशेषज्ञ यह मानते आ रहे थे कि शारीरिक गतिविधियों की आदत लंबे समय के दर्द को रोकने और उसके प्रबंधन में मददगार हो सकती है लेकिन इसके कोई प्रमाणिक नतीजे नहीं थे. उन्होंने कहा कि इस शोध का फायदा केवल एक प्रचलित धारणा को सिद्ध करना ही नहीं है, बल्कि उसे एक वैज्ञानिक आधार प्रदान करना भी है. इससे अब शारीरिक सक्रियता और दर्द सहन करने की क्षमता के बीच संबंध भविष्य में कई चिकित्सकीय प्रयोगों और उपचार पद्धतियों के विकास में उपयोग में लाया जा सकेगा.
पुराना दर्द भी कम करेगा
अध्ययन के लेखक एंडर्स एर्नेस ने सुझाया कि शरीरिक गतिविधि को एक नियमित रूटीन बनाकर बढ़ाया जा सकता है. यह ज्यादा दर्द सहने की क्षमता से सकारात्मक तौर से जुड़े हैं. उनके मुताबिक शारीरिक सक्रियता को बढ़ावा देना लंबे समय से चले आ रहे दर्द को भी कम करने मददगार हो सकता है.
दोनों चरण में हुए कई बदलाव
अध्ययन में यह भी पाया गया कि यहां तक कि जिन प्रतिभागियों ने पहले चरण की तुलना में दूसरे चरण तक ज्यादा शारीरिक गतिविधियां की उनमें भी दर्द सहन करने की क्षमता में इजाफा पाया गया. हालांकि शोध में सक्रियता के स्तरों और दर्द सहनशीलता में बदलावों के बीच संबंध के बारे में कुछ नहीं बताया गया.