पक्षियों का समय रहते संरक्षण न किए जाने का परिणाम यह हुआ है कि भारत में पक्षियों की 25 प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर हैं. जेडएसआई के वैज्ञानिक अमिताव मजूमदार ने बताया कि दुनिया में पाई जाने वाली 10,906 पक्षियों की प्रजातियों की समृद्ध विविधता है.
पुस्तक के जरिये पक्षियों को बचाने का आह्वान
भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (जेएसआई) के वैज्ञानिक मजूमदार ने बताया कि पक्षियों की 78 प्रजातियां केवल हमारे देश के भौगोलिक क्षेत्र में पाई जाती हैं. आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर हमने 75 एंडेमिक बर्ड्स ऑफ इंडिया पुस्तक में 75 ऐसी ही प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित किया है. संकटग्रस्त 25 प्रजातियों में से तीन को गंभीर रूप से लुप्तप्राय, पांच को लुप्तप्राय और 17 को संवेदनशील के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. इसके अलावा 11 प्रजातियां ऐसी हैं, जिनका संरक्षण न करने पर वह लुप्तप्राय हो सकती हैं.
रिकॉर्ड के अनुसार, मणिपुर बुश क्वेल नाम के पक्षी को पिछली बार 1907 में, हिमालयन क्वेल और जेर्डन्स कोर्सर को क्रमश 1876 और 2009 में देखा गया था. मजूमदार ने कहा कि कुछ शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि मोटेल्ड वुड आउल और वेस्ट हिमालयन बुश बार्बलर केवल भारतीय भौगालिक परिस्थितियों में पाए जाते हैं, लेकिन नए रिकॉर्ड और पक्षियों की बसाहट से यह संकेत मिलता है कि भारत के आसपास के देशों में भी उनकी मौजूदगी है.
● 1353 पक्षियों का स्थायी निवास है भारत की धरती
● 78 प्रकार के पक्षी केवल भारतीय परिवेश में ही पाए जाते हैं
● 17 को संवेदनशील के रूप में सूचीबद्ध किया गया
10 हजार से ज्यादा पक्षियों की प्रजाति धरती पर हैं