
मौसम कोई भी हो, पहाड़ी गांवों में वक्त बिताना एक अलग ही अनुभव देता है. उस जगह के बारे में सिर्फ जानना और वहां की खूबसूरती की कल्पना करना भी मन को शीतलता से भर देता है. उत्तराखंड के कुमाऊं में मुनस्यारी के पास स्थित एक ऐसा ही गांव है सरमोली. पहाड़ों की हरियाली के बीच यहां अपनी छुट्टियों को कैसे बनाएं मजेदार.

कैसे जाएं, कहां रुकें
सरमोली, मुनस्यारी से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर है. काठगोदाम यहां से सबसे पास का रेलवे स्टेशन है. काठगोदाम से सड़क के रास्ते मुनस्यारी तक आने में लगभग दस घंटे का वक्त लगेगा. जहां तक बात रुकने की ही है, तो सरमोली में बेशक बड़े-बड़े होटल न हों, पर आपके रुकने के लिए घर जैसा आराम देने वाले ठिकाने यानी होमस्टे जरूर मिलेंगे, जहां आपको तमाम सुविधाएं मिलेंगी. इन होमस्टे में रहकर आप यहां के जायकों और संस्कृति से भी रूबरू हो पाएंगे. जब आप किसी होमस्टे में रह रहे हों, तो आपको मेजबानों के माध्यम से वहां खेती आदि को समझने का मौका मिल सकता है. यहां आने का सबसे सही समय मार्च से मई तक और सितंबर से नवंबर के बीच का है.

जब भी बात इको टूरिज्म या विलेज टूर की होती है, तो सरमोली उत्तराखंड के सबसे अच्छे गांवों में शामिल किया जाता है. ग्रामीण जीवन की सहजता को देखना हो या प्रकृति की सुंदरता को पास से अनुभव करना हो, हर लिहाज से यह जगह मुफीद है. वैसे भी ज्यादातर लोग गर्मी की छुट्टी में ऐसी जगह की तलाश में रहते हैं, जहां भीड़भाड़ कम हो. ऐसे में सरमोली में आपकी इच्छा पूरी हो सकती है. मैंने जब इंटरनेट पर इसके बारे में खोज शुरू की तो मैं जितना जानता गया, उतना ही मैं सरमोली के प्रति आकर्षित होता गया. इसने मुझे इतना प्रभावित किया कि ठीक अगले दिन छोटी तैयारी के साथ मैं निकल पड़ा सरमोली की खूबसूरती को देखने के लिए.
पर्यटकों को क्यों लुभाता है ये गांव
मुनस्यारी से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरमोली एक छोटा-सा कुमाऊनी गांव है. जिसमें मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध संस्कृति और सीधे-सादे स्थानीय लोग आपको इस जगह को भूलने नहीं देंगे. यहां की सहजता ऐसी है कि मुझे हमेशा घर जैसा महसूस हुआ.

यहां पंचाचूली, नंदा देवी, नंदाकोट और राजरंभा जैसी हिमालय की चमकदार सफेद चोटियों की भव्यता, रोडोडेंड्रोन और सागौन के जंगलों का रहस्यमयी आकर्षण और गंगा नदी. . . ये पूरा दृश्य ही इसे उन सभी के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं, जो एक प्रकृति प्रेमी को चाहिए होता है. पूर्णिमा की रात का सन्नाटा, छायादार पहाड़, टिमटिमाती रोशनी…सब कुछ इतना सुंदर लग रहा था मानो हम कोई फिल्म देख रहे हों. हमें ठंड लग रही थी, फिर भी हम वहां बहुत देर तक पड़े रहे और चांदनी रात को निहारते रहे. वैसे हमने अपने सफर की शुरुआत थमरी कुंड से की थी. उस समय हम खासी ऊंचाई पर थे. हमें घाटी छोटी बिंदी सी नजर आ रही थी. ठंड काफी थी, लिहाजा पुराने सागौन के जंगल को पार करने के बाद एक शांत पहाड़ पर पहुंचे. यहां आने के बाद गाइड से एक हफ्ते तक चलने वाले त्योहार ‘हिमल कलासूत्र’ के बारे में पता चला, जिसमें वहां के स्थानीय लोग बीस किलोमीटर की एक मैराथन दौड़ का आयोजन करते हैं. उस मैराथन को देखना भी हमारे लिए एक अलग ही अनुभव था. इसके अलावा यहां बर्ड फेस्टिवल, वॉल आर्ट फेस्टिवल भी काफी मशहूर है.
ट्रेकिंग का लें मजा
यहां मेसर कुंड, धनाधर रिज और खलिया टॉप नाम के तीन छोटे ट्रेक भी हैं. अगर आप परिवार के साथ ट्रेकिंग का लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो मुनस्यारी का मेसर कुंड ट्रेक आपके लिए सही रहेगा. यह ट्रेक शाहबलूत पेड़ों वाले रास्तों से होकर गुजरता है. इस रास्ते में खास तरह के फलों वाले पेड़ भी मिलेंगे, जिन्हें राहबुलंद नाम से जाना जाता है. सरमोली में कभी भी बारिश आ जाती है, इसलिए अपने साथ छाता या रेनकोट लेकर जाएं.