
शायद यह बात आज के युवा समझने लगे हैं, तभी तो सुकून के कुछ पल बिताने के लिए अपनी जीवनशैली में तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं और इसी एक प्रयोग का नाम है ‘सॉफ्ट लाइफ’. अचानक से ‘सॉफ्ट लाइफ’ क्यों है चर्चा में और क्यों इसके हिमायती बन रहे हैं क्रिएटर्स की देन है ये चलन
स्ट्रेस-फ्री सॉफ्टलाइफ, दरअसल पश्चिम के अश्वेत क्रिएटर्स और इन्फ्लूएंसर्स द्वारा लोकप्रिय किया गया है, जिसका संदेश है सफलता की होड़ के साथ आने वाले संघर्ष, तनाव और चिंता से बचाव करना और जीवन में इसके बजाय आनंद और अनुभव को प्राथमिकता देना.
दुनिया भर में हुए एक सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि जेनरेशन जेड के दस में से चार युवा और लगभग एक चौथाई मिलेनियल्स दो साल के भीतर अपनी नौकरी छोड़ना चाहेंगे, और इसके पीछे की वजह है मानसिक सेहत और ऑफिस का बर्नआउट. यही नहीं, अमेरिका में लगभग 48 मिलियन लोगों ने 2021 में अपनी नौकरी छोड़ दी, मानसिक सेहत के लिए. जाहिर है रोजमर्रा के तनाव से जूझते युवा खुद को थका हुआ महसूस कर रहे हैं. ऐसे में मन को सुकून का एहसास कराने वाला कोई ट्रेंड सामने आता है, तो वे शीघ्र ही इसके मुरीद हो जाते हैं, जैसे ‘सॉफ्ट लाइफ’, जो इन दिनों चर्चा में है. इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टिकटॉक पर इसे 600 मिलियन से भी ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं और हजारों की संख्या में लोग अपनी तस्वीरें साझा कर रहे हैं सॉफ्ट लाइफ कैप्शन के साथ. या यूं कहें कि भागदौड़ भरी जिंदगी को किनारे कर जेनरेशन जेड सेल्फ केयर या खुद की देखभाल को प्राथमिकता दे रहे हैं. तो क्या वाकई सॉफ्ट लाइफ जीना ही सब कुछ हो जाएगा आज के युवा के लिए? अगर ‘हां’, तो क्यों?
सॉफ्ट लाइफ, खुद के साथ नरमी
सॉफ्ट लाइफ! जीवन जीने की एक ऐसी शैली, जो आराम और सिर्फ आराम को तवज्जो देती है. दरअसल, सॉफ्ट लाइफ कल्चर का उद्देश्य कार्य संस्कृति से उपजे तनाव व चिंता को दूर करना है, जिसकी अहमियत अब आम जिंदगी में भी महसूस की जा रही है. इस संबंध में होलिस्टिक लाइफ कोच जेसिका डोरे कहती हैं कि ‘सॉफ्ट लाइफ’ की अवधारणा आपके करियर के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह पहले अपनी खुशी को प्राथमिकता देने के बारे में है. इसका मतलब सिर्फ इतना है कि जहां आपको जरूरत है (काम, रिश्ते, ऑफिस का काम आदि) अपनी सीमाएं जरूर तय करें, ताकि आप अपने जीवन में कम तनाव और अधिक खुशी महसूस कर सकें.
सेल्फ केयर से जुड़ी सोच
मनोचिकित्सक डॉ. स्मिता श्रीवास्तव कहती हैं,‘जॉब नहीं मिल रही, करियर आगे नहीं बढ़ रहा, परिवार में क्लेश, डेडलाइन या टारगेट का दबाव, जरूरी खर्चों की चिंता और न जाने क्या-क्या. कुल मिलाकर 24 फीसदी से ज्यादा युवा किसी न किसी वजह से तनाव में हैं. वहीं भारत में 34 फीसदी हार्ट अटैक से होने वाली मृत्यु का कारण तनावपूर्ण जीवन ही है. लेकिन अच्छी बात यह है कि आज का युवा खुद को स्वीकारना सीख गया है, तभी तो कोई नेचर बाथ के लिए प्रकृति के करीब जा रहा है, तो योगा सेशन वगैरह ले रहा है.’
स्लो लिविंग, गॉब्लिन मोड, क्वाइट क्विटिंग, बेड रोटिंग, सॉफ्ट लाइफ… ये सब जीवन जीने का एक तरीका है, जिसे अपना रही है आज की युवा पीढ़ी यानी जेनरेशन जेड. मनोचिकित्सक प्रथम वोहरा का मानना है कि वास्तव में सॉफ्ट लाइफ आपका अपना अनुकूलन है कि आप मानसिक सेहत को लेकर कितना सजग हैं. खुद की देखभाल करना या कभी-कभी आराम करना मानसिक सेहत के लिए अच्छा ही है.’ वोहरा हर दिन कम से कम एक कोई ऐसा काम करने की भी सलाह देते हैं, जिससे आपको खुशी मिलती है.
सॉफ्ट लाइफ मूवमेंट से जुड़ना
कोच और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर टॉम ट्रॉटर कहते हैं कि सॉफ्ट लाइफर्स का लक्ष्य हेल्दी खानपान, सैर करना, संगीत सुनना और पढ़ने को प्राथमिकता देना होता है, ताकि काम और जीवन में संतुलन बना रहे. सॉफ्ट-लिविंग के लिए वह कुछ सुझाव भी देते हैं-
● अपने आपको याद दिलाएं कि रैट रेस से अलग आप शांत और अधिक आराम महसूस करना चाहते हैं.
● अपना ‘मी टाइम’ तय करें. रोजाना खुद के लिए समय निकालें, जिसमें अपना कोई पसंदीदा काम करें, चाहे दस मिनट ही उससे क्यों न जुड़े. कोई अपनी पसंद का काम जरूर करें.
● आपको लगता है कि आप काम के बोझ से दबे हैं, जिससे चिड़चिड़ाहट बढ़ रही है, तो अपने लिए कुछ सीमाएं बनाएं, जैसे शाम छह बजे के बाद कोई काम नहीं, सप्ताहांत और छुट्टियों पर कोई काम नहीं. साथ ही ऑफिस में भी काम के दौरान तीन ब्रेक लें. प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए ऐसा जरूर करें.
● अगर लोग आपकी मदद करने के इच्छुक हैं, तो उन्हें मदद करने दें.
● खुद से प्यार करें. पसंदीदा किताबें पढ़ें या कुछ लिखें. नियमित रूप से योग करें.