वनों के संरक्षण-संवर्धन सहित वनवासियों के उत्थान के लिए बेहतर ढंग से कार्य करें : मुख्यमंत्री बघेल
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज शाम यहां राजधानी स्थित अपने निवास कार्यालय में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के काम-काज की गहन समीक्षा की। उन्होंने इस दौरान विभागीय अधिकारियों की छत्तीसगढ़ में वनों के सरंक्षण-संवर्धन सहित वनवासियों के उत्थान हेतु समन्वित होकर कार्य करने के लिए विशेष जोर दिया। इस अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर उपस्थित थे।
बैठक में बताया गया कि राज्य में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आयोजित वृहद स्तरीय कार्यक्रम में तेन्दूपत्ता प्रोत्साहन पारिश्रमिक तथा संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के लाभांश लगभग 466 करोड़ रूपए की राशि का जिलों में हितग्राहियों को वितरण किया जाएगा। इनमें वन प्रबंधन समितियों के वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक की अवधि के 44 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल है। इसी तरह तेन्दूपत्ता प्रोत्साहन पारिश्रमिक अंतर्गत 422 करोड़ रूपए की राशि में से वर्ष 2021 के 163 करोड़ 59 लाख रूपए तथा वर्ष 2022 के अंतर्गत 258 करोड़ 17 लाख रूपए की राशि शामिल है।
राज्य में वर्ष 2023-24 में विभागीय वृक्षारोपण अंतर्गत समस्त योजनाओं में 7 हजार 695 हेक्टेयर रकबा में 70 लाख से अधिक पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है। इनमें कैम्पा मद के वृक्षारोपण के अंतर्गत 3 हजार 68 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 18 लाख पौधरोपण का लक्ष्य शामिल है। गौरतलब है कि इनमें चालू वर्षा ऋतु के दौरान 2 हजार 121 हेक्टेयर रकबा में 6 लाख 47 हजार फलदार पौधों का रोपण किया जाएगा।
बैठक में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘‘मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना’’ की प्रगति के संबंध में समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना अंतर्गत वर्ष 2023-24 में 23 हजार 603 कृषकों द्वारा 36 हजार 140 एकड़ रकबा में पौधरोपण किया जाएगा। इनमें प्रजातिवार सागौन, बांस, नीलगिरी, चंदन तथा मिलिया डूबिया के 2 करोड़ 25 लाख 52 हजार 941 पौधों का रोपण होगा। इसी तरह नरवा विकास के महत्वपूर्ण कार्यक्रम के बारे में भी विस्तार से समीक्षा की गई। नरवा विकास अंतर्गत राज्य में वर्तमान में वनांचल के 6 हजार 755 नालों में 25 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबा में भू-उपचार का कार्य प्रगति पर है। इसके लिए 1 करोड़ 80 लाख भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण जारी है।