ज्ञान की पाठशाला हैं गणपति के अंग
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देश-विदेश में गणेश उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। यह उत्सव करीब 10 दिनों तक चलता है। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए भक्त उनकी पसंद के पकवान, मोदक, मिठाइयां, फल -फूलों अर्पित करते हैं। गणेश जी को बुद्धि, ज्ञान, शिक्षा और कला के देव माने जाते हैं। बच्चे गणपति का अनुसरण करके बन सकते हैं गुणवान।
जाने कैसे ज्ञान की पाठशाला हैं गणपति के अंग
गणपति की सूंड- गणेश जी की सूंड हमेशा हिलती डुलती रहती है, जो उनके हर पल सक्रिय रहने का संकेत है. यह हमें ज्ञान देती है कि जीवन में सदैव सक्रिय रहें. जो व्यक्ति ऐसा करता है, उसे कभी दुख: और गरीबी का सामना नहीं करना पड़ता है. शास्त्रों में गणेश जी की सूंड की दिशा का भी अलग-अलग महत्त्व बताया गया है.
बड़ा उदर- गणपति का पेट बड़ा है. इस कारण इन्हें लंबोदर भी कहा जाता है. लंबोदर होने का कारण यह है कि वे हर अच्छी-बुरी बात को पचा जाते हैं और किसी भी बात का निर्णय सूझबूझ के साथ लेते हैं. गणेश जी का बड़ा पेट हमें यह ज्ञान देता है कि भोजन के साथ-साथ बातों को भी पचाना सीखें, जो व्यक्ति ऐसा कर लेता है. वह हमेशा ही खुशहाल रहता है.
एकदंत- पौराणिक कथा के अनुसार बाल्यकाल में भगवान गणेश का परशुराम जी से युद्घ हुआ था. इस युद्घ में परशुरामजी ने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत काट दिया. उस समय से ही गणेश जी एकदंत कहलाने लगे. गणेश जी ने अपने टूटे हुए दांत को लेखनी बना लिया और इससे पूरा महाभारत ग्रंथ लिख डाला. यह गणेश जी की बुद्घिमत्ता का परिचय है. गणेश जी अपने टूटे हुए दांत से यह सीख देते हैं कि चीजों का सदुपयोग किस प्रकार से किया जाना चाहिए.
लंबे कान- गणेश जी के कान सूप जैसे बड़े हैं, इसलिए इन्हें गजकर्ण-सूपकर्ण भी कहा जाता है. गणेश जी के लंबे कानों का एक रहस्य यह भी है कि वह सबकी सुनते हैं, फिर अपनी बुद्धि-विवेक से निर्णय लेते हैं. बड़े कान हमेशा चौकन्ना रहने के भी संकेत देते हैं. गणपति के सूप जैसे कान से शिक्षा मिलती है कि जैसे सूप खराब चीजों को छांटकर अलग कर देता है. उसी तरह जो भी व्यर्थ बातें आपके कान तक पहुंचती हैं. उसे बाहर ही छोड़ दें. उन्हें अपने अंदर न आने दें.
बड़ा मस्तक– गणेश जी का मस्तक काफी बड़ा है. अंग विज्ञान के अनुसार बड़े सिर वाले व्यक्ति नेतृत्व करने में योग्य माना जाता है. इनकी बुद्घि कुशाग्र है. गणेश जी का बड़ा सिर यह भी ज्ञान देता है कि अपनी सोच को बड़ा बनाए रखना चाहिए.
छोटी आंखें- गणपति की आंखें छोटी हैं. अंग विज्ञान के अनुसार छोटी आंखों वालों को चिंतनशील और गंभीर प्रकृति के माने जाते हैं. गणेश जी की छोटी आंखें यह ज्ञान देती हैं कि हर चीज को सूक्ष्मता से देख-परख कर ही कोई निर्णय लेना चाहिए. ऐसा करने वाला व्यक्ति कभी धोखा नहीं खाता.