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दशहरे के दिन ही क्यों की जाती है शास्त्रों की पूजा, क्या है इसका महत्व

सनातन धर्म में दशहरे या विजयादशमी का खास महत्व होता है और इस दिन राम के साथ शस्त्रों की भी पूजा करने का विधान है. बहुत से घरों में पुराने जमाने के अस्त्र और शस्त्र रखे हुए होते हैं, जिसकी पूजन दशहरा के दिन ही बहुत धूमधाम से की जाती है। बहुत से लोगों को शस्त्र पूजन के बारे में नहीं पता है, वे लोग नहीं जानते हैं, कि यह पूजन क्यों किया जाता है और इसका क्या महत्व और नियम है।ऐसी मान्यता है कि राजा-महाराजाओं ने इस पर्व की शुरुआत की थी और यह आज तक चली आ रही है. इसके अलावा दशहरे पर शस्त्रों की पूजा पूरे विधि विधान से करने से वरदान की प्राप्ती होती है। और इससे शत्रु हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता है. यही वजह है कि इस दिन आम लोगों के साथ भारतीय सेना भी विशेष तौर पर हथियारों की पूजा करती है.

शस्त्र पूजा का महत्व पौराणिक कथा के अनुसार, जब महिषासुर नाम के महाभयंकर राक्षस ने देवताओं को भी हरा दिया था, तब सभी देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गए और उन्होंने अपने मुख से एक तेज प्रकट किया, जो कि देवी का एक स्वरूप बन गया. इसके बाद देवताओं ने देवी को अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए और इन्हीं शस्त्रों की सहायता से देवी ने महिषासुर का वध किया. मान्यता है कि ये तिथि आश्विन शुक्ल दशमी थी. इसलिए इस शुभ तिथि पर शस्त्रों की पूजा विशेष रूप से की जाती है.

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