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श्रीराम जन्मभूमि में अनवरत यज्ञ आज पूरा होगा, अनुष्ठान कल से

अयोध्या. श्रीराम जन्मभूमि परिसर में यज्ञ मंडप के साथ हवन कुंड भी बन गया है. यहां नौ तरह की वेदियां बनाई गई हैं. इनमें बीच की वेदी कमल के स्वरूप में है. इसको पद्मिनी वेदी कहा जाता है. इसी वेदी में भगवान रामलला के रजत विग्रह को रखकर प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान किया जाएगा. इसके लिए 19 जनवरी को अग्नि प्रज्वलित की जाएगी. इससे पहले राम मंदिर के निर्विघ्न निर्माण के लिए परिसर में साढ़े तीन साल से अनवरत चल रहा यज्ञ सोमवार को पूरा हो जाएगा. इसके बाद 16 जनवरी से अलग-अलग अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे.

यज्ञ मंडप समेत हवन कुंडों के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्रत्त्ी द्रविड़ ने पहले ही आकर स्थान चिह्नित कर लिया था. उन्होंने यहां निर्माण के सम्बन्ध में दिशा निर्देश भी दिया था. उनके निर्देशों के आधार पर वेदियों के निर्माण के लिए प्रतिष्ठाचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के तीन बेटे अरुण दीक्षित व सुनील दीक्षित के अलावा गजानन जोधकर सहित आधा दर्जन आचार्य एक सप्ताह से डेरा डाले हुए हैं.

अयोध्या पहुंचे कोषाध्यक्ष प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए रविवार को आचार्य गणेश्वर शास्त्रत्त्ी द्रविड़ के साथ श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव यहां पहुंच गए हैं. प्रतिष्ठाचार्य पं लक्ष्मीकांत दीक्षित मंगलवार को आएंगे. आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि यज्ञमंडप में 18 कलश स्थापित किए जाएंगे. इनमें दस कलश दस दिग्पालों के लिए होंगे. चार द्वार पर चार अलग कलश एवं ब्रह्मा एवं अनंत के लिए भी कलश स्थापना होगी.

किसी एक पर निर्भर रहना ठीक नहीं इसलिए तैयार कराए गए तीन विग्रह

कोषाध्यक्ष ने बताया कि विग्रह निर्माण के लिए पूरी सावधानी बरती गई. शिलाओं का परीक्षण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स से कराया गया. फिर चयनित शिलाओं से विग्रहों का निर्माण तीन अलग-अलग विशेषज्ञ मूर्तिकारों से कराया गया. न्यासियों की सहमति पर विग्रह का चयन कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा की निर्धारित तिथि से पहले और बाद की भी विभिन्न तिथियों पर गहन मंथन किया गया. इसमें सर्वश्रेष्ठ होने के कारण तिथि का निर्धारण किया गया. धनुर्मास में प्रतिष्ठा नहीं हो सकती थी.

श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि ने बताया कि भूमि पूजन की तिथि पांच अगस्त 2020 से 108 दिन पहले से राम मंदिर में शुरू हुआ अनुष्ठान 15 जनवरी 2024 को पूरा होगा. इस दौरान मंदिर के निर्विघ्न निर्माण के लिए वेदों पर आधारित यज्ञ सोमवार को पूरे हो जाएंगे. प्रत्येक पखवाड़े देश के अलग-अलग राज्यों से आए वैदिक आचार्यों ने अनुष्ठान किया. उन्होंने बताया कि ऐन वक्त पर किसी प्रकार दोष निकलने के संकट से बचने के लिए रामलला के तीन- तीन विग्रहों का निर्माण कराया गया.

गणपति पूजन संग विधिवत अनुष्ठान

आचार्य जोधकर ने बताया कि इस यज्ञमंडप में अरणि मंथन से 19 जनवरी को अग्नि प्रज्वलित की जाएगी. इसके साथ होम आदि अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि यज्ञमंडप में षोडश स्तम्भों के अलावा चार द्वार हैं. ये चार द्वार चतुर्वेद के प्रतीक हैं. इनमें पूरब द्वार ऋग्वेद, दक्षिण द्वार यजुर्वेद, पश्चिम द्वार सामवेद व उत्तर द्वार अथर्ववेद का प्रतीक माना गया है.

वास्तु शांति के लिए भी पूजन होगा

आचार्य गजानन जोधकर ने रविवार को कारसेवकपुरम में बताया कि इन चारों द्वारों पर द्वार सूक्त का पारायण और वास्तु शांति के लिए पूजन भी 19 जनवरी को किया जाएगा. यहां बनाए गए हवन कुंड में दो चतुरस्र कुंड के अतिरिक्त योनि कुंड, त्रिकोण कुंड, षडस्र कुंड, अष्टास्र कुंड, अर्धचंद्र कुंड, पद्म कुंड और वृत्त कुंड बनाए गए हैं.

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