इलाज की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को भी जल्द बीमा पॉलिसी में शामिल किया जा सकता है. भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों से आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, यूनानी, होम्योपैथी एवं सिद्धा (आयुष) को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में शामिल करने को कहा है.
बीमा नियामक ने कंपनियों को आयुष उपचार प्रदान करने के लिए अपने बोर्ड द्वारा स्वीकृत पॉलिसी रखने का निर्देश दिया है. इसके लिए कंपनियां दिशा-निर्देश भी पेश करेंगी. नियामक ने कहा है कि सभी बीमा कंपनियों को 1 अप्रैल 2024 तक दिशा-निर्देश तैयार करने होंगे, जो नए वित्त वर्ष से प्रभावी माने जाएंगे.
इरडा ने कहा कि इन निर्देशों में कंपनियों को गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना चाहिए. आयुष अस्पतालों में भी कैशलेस इलाज की व्यवस्था करनी चाहिए.
बीमा पॉलिसी में बदलाव करेंगी कंपनियां इरडा ने कंपनियों से कहा है कि वे अपने बीमा उत्पाद में बदलाव कर इसे आम लोगों के लिए दोबारा जारी करें. जिन बीमा पॉलिसी में आयुष इलाज को लेकर प्रतिबंध लगाए गए हैं, उसे हटाकर इस तरह के इलाज पर भी क्लेम देना स्वीकार करें.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही बीमा परिषद ने कंपनियों से कहा है कि वे उन अस्पतालों में भी कैशलेस इलाज की सुविधा दें, जो उनकी सूची में शामिल नहीं हैं. मौजूदा पॉलिसी को भी संशोधित कर दोबारा जारी करें.