साइबर धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है. इसमें कॉल करने वाला जालसाज खुद को पुलिस, सीबीआइ या ईडी जैसी एजेंसियों का अधिकारी बता कर पीड़ित के ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ का दावा करता है और पैसे वसूलता है.
अक्सर ऐसे कॉल्स विदेश से आते हैं, जिसमें फोन नंबर भारत में इस्तेमाल होने वाले मोबाइल नंबर जैसा दिखता है. इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए रविवार को केंद्र सरकार ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को भारतीय मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने वाली सभी इनकमिंग अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल्स को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया है. डीओटी और टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) ने ऐसी अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉलों की पहचान करने के लिए एक प्रणाली तैयार की है.
दूरसंचार विभाग ने अपने बयान में कहा, जालसाज भारतीय नागरिकों को भारतीय मोबाइल नंबर दिखाकर अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल कर रहे हैं और साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी कर रहे हैं. इसमें प्रतीत होता है कि ऐसी कॉलें भारत के भीतर से उत्पन्न हो रही हैं.
लेकिन ऐसी कॉल्स विदेश से साइबर अपराधियों की ओर से कॉलिंग लाइन आइडेंटिटी में हेरफेर करके की जा रही है. इसके जरिए डिजिटल गिरफ्तारियों, ड्रग्स या कूरियर में नशीले पदार्थ भेजने का आरोप लगा पुलिस अधिकारी बनकर बात करके, ट्राई अधिकारी बनकर मोबाइल नंबरों को बंद करने जैसी धमकियां देकर ग्राहकों को ठगा जा रहा है.