बेसिक डीमैट खाते की सीमा बढ़ेगी
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नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी बेसिक सर्विसेज डीमैट अकाउंट (बीएसडीए) की सीमा 10 लाख रुपये करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. प्रस्ताव के मुताबिक, चार लाख रुपए तक कोई भी डीमैट शुल्क नहीं लगेगा. इसके बाद 10 लाख रुपए तक 100 रुपये वसूला जा सकता है. सेबी ने 26 जून तक राय देने का समय दिया है जिसके बाद अंतिम सर्कुलर आएगा.
गौरतलब है कि वित्तीय समावेशन यानी लोगों तक पहुंच बढ़ाने के लिए वर्ष 2012 में बीएसडीए की शुरुआत हुई थी. अभी यह नियम है कि बीएसडीए में दो लाख रुपये मूल्य तक की ऋण प्रतिभूतियां रखी जा सकती है. इसके अलावा दो लाख रुपये मूल्य की अन्य प्रतिभूतियां भी इस खाते में रखी जा सकती हैं. अब सेबी ने इस सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की योजना बनाई है.
ग्राहक के खाते में सीधे भुगतान अनिवार्य हुआ
सेबी ने बुधवार को ग्राहकों के खाते में प्रतिभूतियों के सीधे भुगतान की प्रक्रिया को अनिवार्य बनाने का निर्णय लिया. परिचालन दक्षता बढ़ाने और ग्राहकों की प्रतिभूतियों के जोखिम को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि यह 14 अक्तूबर से प्रभावी होगा.
वर्तमान में, समाशोधन निगम प्रतिभूतियों के भुगतान को ब्रोकर के खाते में जमा करता है. उसके बाद इसे संबंधित ग्राहक के डीमैट खातों में जमा किया जाता है. सेबी ने शेयर बाजारों, समाशोधन निगम और डिपॉजिटरी के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद फैसला किया है, भुगतान के लिए प्रतिभूतियां समाशोधन निगम सीधे संबंधित ग्राहक के डीमैट खाते में जमा करेगा.