रिलायंस जियो भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस लाने के लिए तैयार है. एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स को भारतीय रेगुलेटरी अथॉरिटीज सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने की हरी झंडी दे दी गई है.
Jio यूजर्स के लिए बड़ी खुशखबरी है. रिलायंस जियो भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस लाने के लिए तैयार है. एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स को भारतीय रेगुलेटरी अथॉरिटीज सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने की हरी झंडी दे दी गई है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, लक्जमबर्ग के एसईएस के साथ मिलकर जियो प्लेटफॉर्म्स ने देश में सैटेलाइट्स को ऑपरेट करने के लिए भारत की स्पेस अथॉरिटी से मंजूरी मिल गई है.
अमेजन और स्टारलिंक भी अप्रूवल लेने की कोशिश में
बता दें कि अमेजन डॉट कॉम और एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी दिग्गज कंपनियां भी भारत में सैटेलाइट कन्युनिकेशन सर्विसेस शुरू करने के लिए अप्रूवल लेने की कोशिश कर रही हैं.
टेलीकॉम डिपार्टमेंट से भी लेना होगा अप्रूवल
रॉयटर्स के अनुसार, ऑर्बिट कनेक्ट इंडिया को इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड अथॉराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) द्वारा अप्रैल और जून में अथॉराइजेशन दिया गया (जिनका सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया गया है), जो कंपनी को भारत में सैटेलाइट का संचालन करने में सक्षम बनाते हैं. हालांकि, ऑपरेशन शुरू करने से पहले, कंपनी को देश के टेलीकॉम डिपार्टमेंट से अलग से अप्रूवल भी लेना होगा. बता दें कि ऑर्बिट कनेक्ट इंडिया, जियो और एसईएस का जॉइंट वेंचर है और इसका उद्देश्य पूरे देश में हाई-स्पीड इंटरनेट एक्सेस प्रदान करना है.
भले ही ऑर्बिट कनेक्ट इंडिया को भारतीय वायुक्षेत्र में सैटेलाइट तैनात करने की अनुमति मिल गई है, लेकिन फिर भी उसे आधिकारिक रूप से अपनी सर्विसेस शुरू करने के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट से मंजूरी लेना होगा. बता दें कि यूटेलसैट की भारती एंटरप्राइजेज बैक्ड वनवेब (OneWeb) को पिछले साल सभी अप्रूवल मिल गए थे.
IN-SPACe के चेयरमैन पवन गोयनका के अनुसार, इनमारसैट (Inmarsat) – एक अन्य कंपनी जिसका लक्ष्य हाई-स्पीड सैटेलाइट-बेस्ड इंटरनेट प्रदान करना है – को भी भारत में सैटेलाइट्स ऑपरेट करने की मंजूरी मिल गई है. गोयनका ने कहा कि दो अन्य कंपनियां – एलन मस्क की स्टारलिंक (Starlink) और अमेजन डॉट कॉम की कुइपर (Kuiper) – ने भी मंजूरी के लिए आवेदन किया है.
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए मंजूरी मिलना थोड़ा मुश्किल
पिछले वर्ष सरकार ने टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर के लिए एक ड्राफ्ट बिल पेश किया था, जिसमें सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेस के लिए लाइसेंसिंग अप्रोच का प्रस्ताव किया गया था तथा कंपनियों को बोली लगाए बिना ही स्पेक्ट्रम आवंटित करने की अनुमति दी गई थी.
सैटेलाइट कम्युनिकेशन (सैटकॉम) स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए सामान्य वैश्विक दृष्टिकोण के विपरीत, भारत में जियो और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियां पर आधारित सिस्टम का पक्ष लेती हैं. इन कंपनियों का तर्क है कि स्पेक्ट्रम आवंटन में सुप्रीम कोर्ट के 2012 के आदेश “सेम सर्विस, सेम रूल” के सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए. दूसरी ओर, एयरटेल ने चिंता व्यक्त की कि नीलामी से घरेलू कंपनियों को नुकसान होगा और वैश्विक खिलाड़ियों को लाभ होगा, जिससे उन्हें बाजार में प्रभुत्व प्राप्त हो सकता है. इसी तरह, एलन मस्क की स्टारलिंक, अमेजन का प्रोजेक्ट कुइपर, टेलीसैट और भारती समर्थित वनवेब सभी का तर्क है कि नीलामी से उपभोक्ताओं के लिए सर्विस कॉस्ट बढ़ जाएगी.