भारतीय फार्मा बाजार जून में 8.8 प्रतिशत बढ़ा
जून में भारतीय फार्मास्युटिकल्स बाजार (IPM) में 8.8 फीसदी की वृद्धि हुई. मार्केट रिसर्च फर्म फार्मारैक के अनुसार, इस दौरान सभी प्रमुख थेरेपी में सकारात्मक मूल्य वृद्धि हुई है. श्वसन (19.2 फीसदी) और एंटी-इंफेक्टिव (17.2 फीसदी) जैसे चिकित्सा क्षेत्र के प्रमुख उपचारों में इस साल जून में दो अंकों की मूल्य वृद्धि देखी गई है.
खास चिकित्सा क्षेत्र के मूल्य वृद्धि के कारण के बारे में फार्मारैक की उपाध्यक्ष (वाणिज्यिक) शीतल सपले ने कहा कि अधिकतर चिकित्सा क्षेत्रों में सकारात्मक मूल्य वृद्धि देखी गई है. आमतौर पर दूसरी छमाही में कुछ उपचारों में मौसमी उछाल देखा जाता है जिसमें जून के बाद इस साल उच्च वृद्धि दर दिखाई दे रही है.
उन्होंने कहा, ‘नई पेशकश, मूल्य आधारित वृद्धि और मात्रात्मक वृद्धि जैसी आईपीएम की सभी तीन श्रेणियों में सकारात्मक वृद्धि देखी गई है, जिससे इस साल जून में कुल मूल्य वृद्धि 8.8 फीसदी रही जबकि पिछले साल जून में यह 6 फीसदी थी.’
जुलाई 2023 से जून 2024 के बीच आईपीएम में मूविंग एनुअल टर्नओवर (एमएटी, जो बीते 12 महीनों का टर्नओवर होता है) में 7.6 फीसदी की वृद्धि रही, जिससे आईपीएम का कुल कारोबार 2 लाख करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक हो गया, जबकि घरेलू बाजार में मात्रा 0.1 फीसदी गिरी.
कार्डियक, एंटी-इंफेक्टिव, गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल जैसे प्रमुख उपचारों के एमएटी ने क्रमशः 9 फीसदी, 8.7 फीसदी और 8.4 फीसदी की अपेक्षाकृत दमदार वृद्धि दर्ज की. ये तीनों चिकित्सा क्षेत्र मिलकर आईपीएम का करीब 38 फीसदी हिस्सा बनाते हैं.
घरेलू बाजार में शीर्ष कंपनियों ने मामूली मासिक वृद्धि दर्ज की मगर फोर्ट्स (28.1 फीसदी), एफडीसी (22.2 फीसदी), अरिस्टो (17.7 फीसदी), सिप्ला (16.5 फीसदी) और ग्लेनमार्क (16.4 फीसदी) जैसी कंपनियों ने इस साल जून में आईपीएम की शीर्ष 40 कंपनियों की बीच महत्त्वपूर्ण मासिक वृद्धि दर्ज की है. इस साल जून में जीएसके की एंटीबायोटिक दवा ऑगमेंटिन और यूएसवी की मधुमेहरोधी दवा ग्लाइकोमेट जीपी क्रमशः 76 करोड़ रुपये और 66 करोड़ रुपये की बिक्री के साथ सबसे अधिक बिकने वाले दवा ब्रांड बने रहे.