अंतराष्ट्रीय

एमपॉक्स वायरस के पैर पसारते ही अफ्रीकी देशों में फिर दहशत

जिनेवा: दो साल पहले दुनियाभर में फैला एमपॉक्स वायरस फिर से पैर पसारने लगा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अफ्रीकी देशों में पिछले एक साल में एमपॉक्स वायरस के मामलों में 160 की वृद्धि हो गई है.

अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने बताया कि मौतों के मामले में भी 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. वायरस का प्रसार कांगो सहित 10 अफ्रीकी देशों में देखा गया है. वहीं लगातार बढ़ते मामलों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चिंता जताई है. महानिदेशक टेड्रोस एडनोम घेबियस ने कहा कि एक विशेषज्ञ समूह को गठित किया है, जो बताएंगे कि क्या एमपॉक्स वायरस के बढ़ते प्रसार को वैश्विक आपातकाल घोषित करने की जरूरत है. समिति मामले पर जल्द अपनी रिपोर्ट सौपेंगी

अफ्रीका सीडीसी के अधिकारियों ने कहा, कांगो में लगभग 70 मामले 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में हैं. यह 85 प्रतिशत मौतों के लिए भी जिम्मेदार हैं. पिछले हफ्ते, केन्या, बुरुंडी और रवांडा में पहली बार एमपॉक्स की सूचना मिली थी. पिछले छह महीने में अफ्रीकन देशों में 14 हजार से अधिक नए मामले आए हैं और 511 लोगों की मौत हो चुकी है. वायरस के प्रकोप पर रोक लगाने को डब्ल्यूएचओ ने पिछले दिनों 1 मिलियन डॉलर जारी किए हैं.

एमपॉक्स के लक्षण

यह एक ऑर्थोपॉक्स वायरस है जो एमपॉक्स का कारण बनता है. इस बीमारी के लक्षण चेचक के समान होते हैं. बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, अधिक थकान और शरीर पर दाने होना शामिल है. संक्रमण होने के एक से चार दिन के अंदर बुखार के साथ त्वचा पर दाने भी दिखाई देने लगते हैं.

70 से अधिक देशों में फैला था

डब्ल्यूएचओं ने वर्ष 2022 में दुनिया के 70 से अधिक देशों में फैलने के बाद एमपॉक्स को वैश्विक आपातकाल घोषित कर दिया था. यह बीमारी ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीका में छिटपुट महामारी में देखी गई थी, जब लोग संक्रमित जानवरों के संपर्क में आए थे. पश्चिमी देशों ने ज्यादातर टीकों और उपचारों की मदद से एमपॉक्स के प्रसार को रोक दिया, जिसके बाद संगठन ने इसे आपातकाल की श्रेणी से हटा दिया था.

बंदरों के जरिये फैला

एमपॉक्स को पहली बार मनुष्यों में 1970 में अफ्रीका देश कांगो में खोजा गया था. यह जंगलों में रहने वाले बंदरों के जरिए से मनुष्यों में फैला था. बंदरों से इंसानों में इस वायरस के फैलने का कारण जानवरों का काटना हो सकता है. साथ ही संक्रमित जानवरों की खाल के संपर्क में आने से भी वायरस फैल सकता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मंकीपॉक्स के ज्यादा मामले समलैंगिक पुरुषों में देखे गए थे. क्योंकि एचआईवी वायरस की तरह ही यह बीमारी भी एक संक्रामक रोग है.

भारत में भी आ चुके मामले

वर्ष 2022 में भारत में एमपॉक्स के मामले सामने आए थे. 14 जुलाई, 2022 को केरल में पहला मामला दर्ज किया गया. इसके बाद कुल 23 मामलों की पहचान हुई थी. सरकार ने तब दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में एमपॉक्स के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे. हालांकि, बाद में मामले धीरे-धीरे कम होने लगे थे.

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