आज गोवर्धन पूजा के लिए दो शुभ मुहूर्त
दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा का पर्व आता है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है. यह दिवाली के अगले दिन पड़ती है. हालांकि इस बार दिवाली दो दिन मनाई गई. ऐसे में गोवर्धन पूजा शनिवार, 2 नवंबर को हो रही है. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है. गोवर्धन दीपावली पंच पर्व का महत्वपूर्ण पर्व है, दिवाली से अगले दिन मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन का पर्व मनाया जाता है, जिसमें विशेष रूप सेगोवर्धन पर्व पर मंदिरों में भगवान गिरिराज (श्री कृष्ण) को अन्नकूट भोग आदि प्रातःकाल और मध्यान में लगाया जाता हैऔर घरों में दोपहर बाद पूजन करने की पंरपरा है. इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 2 नवंबर को सूर्योदय काल से रात्रि 8 बजकर 21 मिनट तक रहेगी. इसलिए इस बार गोवर्धन पर्व 2 नवंबर शनिवार को मनाया जायेगा.
पूजन के दो शुभ मुहूर्त, विजय मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ-
ज्योतिषचार्य राहुल अग्रवाल के अनुसार उदय तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजन दो नवंबर को मनाया जाएगा. इसके अलावा मंदिर में पूजन 12 बजे से शुरु है, लेकिन घर पूजन का विशेष समय 2.45 बजे से शाम 4:09 बजे तक अमृत की चौघड़िया के बीच में रहेगा और दूसरा शुभ मुहूर्त शाम 5:31 से शाम 6:30 तक लाभ की चौघड़िया के बीच में रहेगा. इसके अलावा विजय मुहूर्त दो बजकर नौ मिनट(02.09 मिनट) से लेकर दो बजकर 56 मिनट तक है.
ऐसे करें गोवर्धन की पूजा
ज्योतिष अन्वेषक अमित गुप्ता के अनुसार विशेष बात यह है कि गोवर्धन पर त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है, जो कि शुभ है. इसके अलावा गाय के गोबर से भगवान श्रीकृष्ण की छवि बनाएं और गिरीराज पर्वत बनाना चाहिए. उस पर कढ़ी चावल या घर में पंरपरा के अनुसार जो बनाया गया है, उसका भोग लगाए. साथ ही दीपक जलाकर गोवर्धन की कथा सुनेऔर सात परिक्रमा करनी चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि घर के पुरुष गोवर्धन की पूजा करते हैं.
गोवर्धन पूजा से क्या मिलता है फल-
गोवर्धन पूजा पर गाय, भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा का विशेष महत्व है. घरों में अन्नकूट का भोग लगाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार गोवर्धन की पूजा करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं. इस दिन गाय के साथ दो चार कदम चलने से धन, वंश और शौर्य की वृद्धि होती है.
भगवान चित्रगुप्त की करें पूजा- गोवर्धन पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा यानी अकाउंट जो देवता रखते हैं, वे भगवान चित्रगुप्त हैं. भगवान चित्रगुप्त की पूजा देवताओं के यमराज के सहायक और लेखपाल रूप में पूजा जाता है.