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कर माफी में एक लाख रुपये तक राहत संभव     

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन नितिन गुप्ता ने कहा है कि अंतरिम बजट में 25,000 रुपये तक की बकाया कर मांग को वापस लेने की घोषणा के तहत करदाताओं को एक लाख रुपये तक की राहत मिल सकती है.

इससे उन करदाताओं को लाभ होगा, जिन्हें निर्धारित अवधि में एक साल से अधिक के लिए कर मांग को लेकर नोटिस मिले हैं. इस कदम से लगभग 80 लाख करदाताओं को लाभ होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए अपने अंतरिम बजट भाषण में वित्त वर्ष 2009-10 तक 25,000 रुपये और वित्त वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक 10,000 रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने की घोषणा की. यानी इस अवधि के लंबित मामलों में आयकर देनदारी माफ कर दी जाएगी.

12 हजार खाली पदों को भरा जाएगा

नितिन गुप्ता ने यह भी बताया कि आयकर विभाग में 10,000 से 12,000 तक कर्मचारियों की कमी है और खाली पड़े पदों पर नियुक्ति के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. ये पद मुख्य रूप से ग्रुप सी श्रेणी के हैं.

8.5 करोड़ रिटर्न दाखिल

प्रत्यक्ष कर (आयकर और कंपनी कर) संग्रह के बारे में उन्होंने कहा कि 31 जनवरी तक रिफंड वापसी के बाद 14.46 लाख करोड़ रुपये आये हैं, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा है. और अगर रिटर्न की बात की जाए तो कुल मिलाकर 8.5 रिटर्न दाखिल किए गए हैं, जिसमें से लगभग 8.2 करोड़ वित्त वर्ष 2023-24 के लिए है.

राहत देना मकसद

गुप्ता ने कहा कि इस पहल का मकसद करदाताओं को राहत देना है. इसके तहत हम प्रति करदाता एक लाख रुपये तक की सीमा रखने का प्रयास करेंगे. यानी करदाता को अगर एक साल से अधिक के लिए कर मांग को लेकर नोटिस मिला है तो उसे एक लाख रुपये तक की राहत मिल सकती है. हम इस बारे में जरूरी आदेश जारी करेंगे.

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