देश को तोड़ने के लिए नई भाषा गढ़ी जा रही मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने विपक्ष के बयानों पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि देश को तोड़ने के लिए नई भाषा गढ़ी जा रही है.
उन्होंने कहा, देश को इतना तोड़ा गया, क्या यह कम नहीं है, जो अब उत्तर और दक्षिण को तोड़ने के लिए बयान दिए जा रहे हैं. देश को तोड़ने के लिए नए-नए नैरेटिव खोजना बंद कर दीजिए.
प्रधानमंत्री बोले, कोई अगर कहेगा कि हमारा टैक्स हमारा मनी, ये कैसी भाषा का इस्तेमाल किया जाने लगा है. ये गलत है. राष्ट्र हमारे लिए जमीन का टुकड़ा नहीं. एक प्रेरणा देने वाली इकाई है. अगर पैर में कांटा लगे तो हाथ ये नहीं सोचता कि पैर को लगा, मैं क्यों करूं. हाथ तुरंत पैर तक पहुंचता है.
हिंदुस्तान के किसी भी कोने में दर्द हो तो पीड़ा सभी को होनी चाहिए. शरीर का एक अंग काम नहीं करता तो पूरा शरीर अपंग माना जाता है. देश का कोई अंग विकास से वंचित होता है तो देश विकसित नहीं माना जाएगा. हमें अलग-अलग नहीं देखना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने गारंटियों का जिक्र करते हुए कहा, हम मुफ्त अनाज देते हैं और देते रहेंगे. उन्होंने बताया कि 25 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से बाहर निकले हैं और नव मध्यम वर्ग में आए हैं. लेकिन उनके लिए भी यह योजना जारी रहेगी. गरीबों को पांच लाख रुपये तक की सुविधा आगे भी मिलती रहेगी.
प्रधानमंत्री ने कहा, किसानों को सम्मान निधि मिलती रहेगी. पक्के घर और नल से जल योजना जारी रहेगी. देश ने विकास का जो रास्ता और दिशा पकड़ी है, उसे धीमा नहीं होने देंगे.
विपक्षी सदस्यों की टोका-टोकी पर मोदी ने कहा, मैंने धैर्य से सबकी बातें सुनीं लेकिन आप नहीं सुनने की तैयारी करके आए हैं. मेरी आवाज को आप दबा नहीं सकते. इस आवाज को जनता ने ताकत दी है. मैं पूरी तैयारी के साथ आया हूं. मोदी ने कांग्रेस को आरक्षण की जन्मजात विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि एक बार जवाहरलाल नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें लिखा था कि मैं किसी भी आरक्षण को पसंद नहीं करता. खासकर, नौकरी में आरक्षण तो कतई नहीं.