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निजी क्षेत्र ग्रेनेड-ड्रोन का डीआरडीओ में कर सकेंगे परीक्षण

नई दिल्ली. रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए कई स्तरों पर कार्य किया जा रहा है. इस सिलसिले में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अपनी प्रयोगशालाओं में मौजूद टेस्टिंग सुविधाओं को निजी क्षेत्र को भी उपलब्ध कराने का फैसला किया है.

मतलब यदि कोई निजी कंपनी ड्रोन बना रही है तो उसकी टेस्टिंग के लिए उसे अलग से सुविधा विकसित नहीं करनी होगी बल्कि डीआरडीओ की सुविधा में जाकर वह टेस्टिंग कर सकेंगे. डीआरडीओ से जुड़े सूत्रों के अनुसार कुल 74 किस्म की सुविधाओं को निजी क्षेत्र के लिए खोला गया है. इनमें अलग-अलग किस्म के परीक्षण हो सकेंगे. इनमें प्रमुख रूप से गोला बारुद का टेस्ट, ग्रेनेड टेस्ट, यूएवी की टेस्टिंग, नाइट विजन डिवाइसों का परीक्षण, ऊंचे स्थानों पर की जाने वाली टेस्टिंग, हाई स्पीड ट्रकों समेत सभी प्रकार के वाहनों की टेस्टिंग, एयरड्राप सुविधा आदि प्रमुख रूप से शामिल है.

रक्षा मंत्रालय की तरफ से लगातार निजी क्षेत्र को रक्षा सामग्री देश में बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. सार्वजनिक रक्षा उपक्रमों के अलावा निजी क्षेत्र को भी इसके लिए आवश्यक प्रोत्साहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. मंत्रालय ने रक्षा खरीद का 70 फीसदी घरेलू खरीद के लिए निर्धारित कर दिया है.

करीब पांच सौ रक्षा सामग्री की चरणबद्ध तरीके से विदेश खरीद बंद करने का फैसला किया है. यानी इनका निर्माण देश में ही होगा. इसके अलावा सैकड़ों कल पुर्जों के विदेशों से आयात पर भी रोक लगा दी है. आरंभिक चरण में इसमें सफलता मिल रही है. लेकिन ठोस नतीजों के लिए और इंतजार करना होगा.

देश भर में 69 प्रयोगशालाएं

बता दें कि डीआरडीओ की देश भर में 69 प्रयोगशालाएं, केंद्र एवं संस्थाएं हैं जो अनुसंधान कार्य से जुड़ी हैं. उसके पास सात हजार वैज्ञानिक तथा दस हजार तकनीकी विशेषज्ञों की मजबूत टीम है. सरकार डीआरडीओ के जरिये होने वाले अनुसंधान पर करीब 22-24 हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष व्यय करती है. संगठन इस समय करीब साढ़े तीन सौ रक्षा परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है.

निशुल्क उपलब्ध कराने का फैसला

जहां तक डीआरडीओ का प्रश्न है, इससे पूर्व डीआरडीओ ने अपनी तकनीकों को निशुल्क उपलब्ध कराने और कई पर रायल्टी नहीं वसूलने का भी फैसला किया है. डीआरडीओ सूत्रों ने कहा कि निजी उद्योगों को टेस्टिंग सुविधा देने से वह कम लागत पर रक्षा सामग्री तैयार कर सकेंगे. इसका फायदा रक्षा क्षेत्र को मिलेगा. डीआरडीओ ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास में तेजी लाने के लिए उद्योग जगत और शोध संस्थानों के साथ भी कई समझौते किए हैं.

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