
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पतंजलि आयुर्वेद ने दवाओं के विज्ञापनों को लेकर जो हलफनामा सौंपा है, उसमें पहली नजर में उल्लंघन देखने को मिलता है. कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक (एमडी) बालकृष्ण को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए. कोर्ट ने कहा कि उसके अगले आदेश तक पतंजलि आयुर्वेद अपने किसी भी मेडिकल उत्पाद का विज्ञापन न करे. पतंजलि आयुर्वेद और उसके अधिकारियों को मीडिया में किसी भी मेडिकल प्रैक्टिस के बारे में प्रतिकूल बयान नहीं देने के निर्देश भी दिए गए.
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. याचिका में आरोप लगाया गया कि रामदेव की कंपनी 2022 में एलोपैथी मेडिकल प्रैक्टिस के खिलाफ गलत सूचना फैला रही थी. कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहता, बल्कि भ्रामक विज्ञापनों की समस्या का सही समाधान ढूंढना चाहता है.
सरकार को भी घेरा, एक्शन के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को भी घेरा. कोर्ट ने कहा कि पूरे देश को धोखा दिया जा रहा है और सरकार आंख बंद किए बैठी है. उसने मेडिकल उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सरकार से एक्शन लेने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी.